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________________ संदर्भ सूची १. २. mix jwj 9 v ३. ५. ४. सम्यक्ज्ञानं प्रमाणं ६. ७. तत्त्वार्थ सूत्र, विवेचन सुखलाल संघवी, १/३ अधिगमोऽर्थावबोधः । यत्परोपदेशपूर्व जीवाद्यधिगमनिमित्तं तदुत्तरम् । सर्वार्थसिद्धि १/३/१२ जैनसिद्धान्त दीपिका ९/५ ८. प्रमाण-परीक्षा, पृ०१ सर्वार्थसिद्धि, १/१०, ९८/२ कषायपाहुड, १/१/१, २७, ३७, ६ न्यायदीपिका, ३/७३ / ११२ अभिधेयं वस्तु यथावस्थितम् योग जानीते, यथाज्ञानं चाभिद्यत्ते स आप्त: । वही ४/४ ९. अनुयोगद्वार ४५८ १०. तत्त्वार्थ सूत्र, १/१०/१२ विवेचनकर्ता पं० फूलचन्द सिद्धान्त शास्त्री ११. जैन न्याय तर्कसंग्रह ( यशोविजय), प्रमाण खण्ड । १२. सर्वार्थसिद्धि, १/३३/१४१/२ १३. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, पृष्ठ २७१ १४. सर्वार्थसिद्धि ९/२५/४४३/४ १५. सवार्थसिद्धि ९/२५/४४३/४ १६. सवार्थसिद्धि ९/२५/४४३/५ १७. तत्त्वार्थ सूत्र ७/८७ वाङ्मय में शिक्षा के तत्त्व, पृ० १२०, डा० निशानन्द शर्मा, प्रकाशक- प्राकृत, जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान वैशाली (बिहार) १९८८ १८. जैन १९. कषायपाहुड (जयधवला) १/९/११/७ २०. जयधवला सहितं कषायपाहुड, चूर्णि, भाग-१, पृ० ११, द्वितीय २१. विशेषावश्यक भाष्य, संपादक डा० नथमल टांटिया, पृ० १६८-१६९ २२. न्यायबिन्दु टीका १/७/१४०/९ Jain Education International · डॉ० इंदरराज बैद बाँका राजस्थान बाँकी पगड़ी, बाँकी मूछे बाँकी जिसकी शान है, बाँके जिसके युद्ध बाँकुरे, बाँका राजस्थान है। जिसकी गोदी का हर बालक ज्वालामुखी सरीखा है, जिसकी हर नारी ने चलना अंगारों पर सीखा है। जिसके पानी के आगे दुनिया का पानी फीका है। ऐसा गौरवधाम हिंद का अपना वंश स्थान है। अपना वंशस्थान तभी तो बाँका राजस्थान है ।। खड़ी अभी तक उसी शान से दुर्गों की प्राचीर यहाँ, टूटी कितनी बार हारकर जुल्मों की शमशीर यहाँ, लेकिन अब तक रही सुनहरी ही इसकी तस्वीर यहाँ, भारत भर का बल विक्रम चिर विजयी इसकी आन है, विजयी इसकी आन तभी तो बाँका राजस्थान है ।। यह पद्मिनियों की भूमि यहाँ का इतिहास निराला है, फूलों की है सेज आज तो कल जौहर की ज्वाला है, सुधा समझकर मीरों हँस पी जाती विष का प्याला है. सीस काट देती क्षत्राणी ऐसा यहाँ विधान है. ऐसा यहाँ विधान तभी तो बाँधा राजस्थान है ।। बलिदानों के फूल खिले हैं इसकी लोहित माटी में, खेल चुके हैं युद्ध बाँकुरे होली हल्दीघाटी में, अनन्य यहाँ के वीर बलि को जीने की परिपाटी में जीने-मरने का कुछ इसका न्यारा ही उनमान है, न्यारा ही उनमान तभी तो बाँका राजस्थान है ।। धरा प्रतापी सिंहों की यह लाखों भामाशाहों की, दानी बलिदानों बेटों की पन्ना-सी माताओं की, वसुंधरा है पावन भावी भारत की आशाओं की, सीधे सच्चे शब्दों में यह नन्हा हिन्दुस्तान है, नन्हा हिन्दुस्तान तभी तो बाँका राजस्थान है ।। अणुशक्ति की नूतन गंगा जदों हृदय में थी उतरी, राजधरित्री पोकरणी वह सदा रहेगी गर्व भरी, मारवाड़, अजमेर, उदयपुर, विश्व रम्य जयपुर नगरी रोमांचक भूखंड देश की इनके कौन समान है, इनके कौन समान तभी तो बाँका राजस्थान है ।। चेन्नई अष्टदशी / 185 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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