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________________ हिन्दी पत्रकारिता त्वरित संचार साधनों और आधुनिकतम मुद्रण पत्रकारीय मूल्यों को चोट पहुंचाना है। पत्रकार का दायित्व बोध संयंत्रों के कारण ही नहीं बल्कि पत्रकारिता का कलेवर समग्रता भोथरा हो गया है। पत्रकारिता उद्देश्यपरक होती जा रही है, इसमें का है, जिसमें राष्ट्रीय जीवन के सभी पहलुओं को समेटा गया पीत पत्रकारिता, राजनीतिक चाटुकारिता जैसी-बुराइयाँ आ रही है। साहित्यिक, सांस्कृतिक अभिरूचि का विकास, हिन्दी भाषा हैं। सेक्स, हत्या, डकैती, भ्रष्टाचार, बलात्कार, नग्नता और के परिष्कार, लेखकीय शिल्प उत्कर्ष के साथ विषयों के प्रति छीछले विचारों ने भी नए युग की पत्रकारिता में स्थान बनाया है। अभिरुचि पैदा कर पत्रकारों ने राष्ट्रीय चेतना में एकाग्रता पैदा प्रसार संख्या बढ़ाने के इन तरीकों से पत्रकारिता की छवि धूमिल की है। आज हिन्दी पत्रकारिता की पताका लिए देशभर में भी हुई है, पत्रकार जनता में मानसिक उद्वेलन कर अखबार बेचते राजस्थान पत्रिका के संस्करण निकाले जा रहे हैं। हिन्दुस्तान, हैं। यह इस समय की बुराई है। पक्षपात और राजनीतिक नवभारत टाइम्स, जागरण, आज, पंजाब केसरी, नई दुनिया, चाटुकारिता पत्रकारों में बढ़ती जा रही है। २१वीं सदी में अंग्रेजी विश्वामित्र, भास्कर, महका भारत, नवभारत, दैनिक ज्योति, पत्रकारिता हिन्दी पर हावी हो रही है। इसका कारण हिन्दी अमर उजाला, सन्मार्ग, देशबन्धु, प्रभात खबर, जैसे अनेक पत्रकारिता में बढ़ती बुराई तथा पत्रकारों में जीजिविषा का अभाव समाचार पत्र राष्ट्र-सेवा में पत्रकारीय कर्म में जुटे हुए हैं। २१वीं है। पत्रकारों में पाठकों के प्रति दायित्व बोध घटता जा रहा है। सदी हिन्दी पत्रकारिता का स्वर्णिम काल माना जाता है। आजादी ____ पत्रकारों के संकीर्ण सरोकारों से हिन्दी पत्रकारिता कुंठित हो रही के आन्दोलन में जुटी पत्रकारों की पूर्व पीढ़ी ने हिन्दी पत्रकारिता है। हिन्दी पत्रकारिता की जन्मस्थली कोलकाता में तो हिन्दी को राष्ट्रीय-निष्ठा का आदर्श दिया है। इस आदर्श को देश की पत्रकारों की जो स्थिति है उसमें किसी भी स्वाभिमानी पत्रकार को युवा पत्रकार पीढ़ी ने आत्मसात कर रखा है। चोट पहुंचनी स्वाभाविक है। हम अपने हिन्दी पत्रकारिता के हिन्दी पत्रकारिता ने साहित्यिक, शैक्षणिक, धार्मिक, इतिहास को यहां लज्जित कर रहे हैं, हिन्दी पत्रकारों में अपने कृषि, स्वास्थ्य, विज्ञान, उद्योग, फिल्म पत्रकारिता, महिला, खेल वैभवशाली इतिहास को स्वर्णिम ही बनाए रखने तथा हिन्दी एवं बाल पत्रकारिता जैसे नए विषय निकाल कर इन विषयों पर पत्रकारिता के माध्यम से देश एवं मानवता की सेवा करने की विशेषज्ञ पत्रकारिता की जा रही है। दैनिक समाचार पत्रों के अगर ललक है तो स्वस्थ चिन्तन से पत्रकार की गरिमा खुद में अलावा इन विषयों पर देशभर में हजारों पत्र-पत्रिकाएं निकाली फिर से जगानी होगी तभी पूर्वजों की विरासत और भावी हिन्दी जा रही हैं। हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास भविष्य में देश देने पत्रकारिता को आगे ले जाया जा सकेगा। वाला तथा पत्रकारिता के आदर्शों और मूल्यों से ओत-प्रोत है। निदेशक, आई० एम०ए० बीकानेर इस ऐतिहासिक वैभव ने २१वीं सदी की पत्रकारिता को भी दिशा दी है। पत्रकारिता जीवन मूल्यों के विकास के लिए पत्रकारिता जगत के पूर्वज आज भी नई पीढ़ी के लिए रोशनी बने हुए हैं। सैकड़ों ख्यातनामा पूर्वज पत्रकार है, जिन्होंने हिन्दी पत्रकारिता को विश्व-पटल पर साख दिलाने के लिए तपस्या की है। पत्रकारों को संस्कारिता किया है। पत्रकारों की नैतिकता के लिए खुद ने आदर्श पत्रकार का जीवन जीया है। पत्रकारों की बुजुर्ग पीढ़ी के बनाए स्तम्भ पर ही आज की हिन्दी पत्रकारिता सुहावने भवन के रूप में खड़ी है। इस राष्ट्रीय निर्माण की अखिल धारा को सतत रूप से आगे बढ़ाकर आदर्श पत्रकारिता धर्म से २१वीं सदी में पत्रकारिता के स्वर्णिम युग की उम्मीदें पूरे राष्ट्र को है। क्या २१वीं सदी की पत्रकारिता व्यवसायोन्मुखी होने से पत्रकारिता के मूल्य पीछे छूटते जा रहे हैं? यह सवाल वर्तमान पत्रकारिता का अह्म सवाल बन गया है। हिन्दी पत्रकारिता के स्वर्णिम इतिहास को चांदी के टुकड़ों में आज खरीदा जा सकता है? पत्रकार का व्यवसायी होना सच में ० अष्टदशी / 1760 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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