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________________ पढ़ते समय उस कथन की गहनता का मुझे और भी तीव्रता से दोषपूर्ण और नकारात्मक व्यवस्था का वह पक्ष सामने आता है अनुभव हुआ और मुझे लगा कि हितोपदेश की बातें केवल जो उसे अपराध करने के लिए विवश करता है। नीतिग्रंथों में ही नहीं, जासूसी कहानियों में भी पढ़ी जा सकती हैं। चार उपन्यास और छप्पन कहानियों में, अधिकांश जिनमें प्रकाश की किरणें परावर्तित होती हैं ताकि कहीं से कुछ उजाला बहत लम्बी हैं. न कहीं श्लीलता का उल्लंघन है न अपराधी के अंधकार में झाँकता रहे। मन के ब्रह्मांड में भी सद्विचारों के तारे प्रति हिंसक भावों का उद्रेक। अपराधों की पृष्ठभूमि पर भी ऐसा टिम-टिम करते हैं और इसलिए, अन्तरिक्ष की तरह, अन्तर का साफ-सुथरा सृजन कैसे संभव हुआ? कर्म-नियति के भी एक-न-एक कोना सदा आलोकित रहता है - सर डोयल की स्वत:स्फूर्त और स्वचालित अनुशासन के अधीन, दुष्कर्म स्वयं कहानियाँ मुझे यह कहती-सी प्रतीत हुई। अपनी उस अनुभूति को । ही कर्ता को सजा देते हैं - दर्शन-ग्रन्थों का यह सार जासूसी भी आज व्यक्त करता हूँ। कहानियों में कैसे प्रवाहित हुआ? शरलॉक होम्स के साहसिक सर आर्थर कोनर डोयल विश्व के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले और संकटपूर्ण कारनामों को पढ़ते समय मुझे बार-बार ऐसा लेखकों में से एक हैं। लगभग सभी देशों की प्रमुख भाषाओं में लगता रहा कि उसके रचनाकार सर आर्थर कोनन डोयल भी उनकी रचनाओं का अनुवाद हुआ है। गहन षडयंत्रों की पृष्ठभूमि भाव-जगत की उसी प्रकम्पन-श्रृंखला से बंधे थे, बाणभट्ट से दीदी पर बुना सशस्त कथानक, रोमांचक परिस्थितियाँ, अविरल तक जिसका संचरण था और उन सब तक है जो नर-लोक से प्रवाह, बाँध लेने वाली भाषा, चुस्त संवाद और अमलिन किन्नर-लोक तक एक ही रागात्मक संवेदना का अनुभव करते अभिव्यक्ति - इन सबके सम्मिलित स्वरों ने उनके साहित्य को हैं और उस रागात्मकता में, दीदी की तरह, राग-मुक्त होने की वह ऊँचाई दी है जहाँ पहुँचकर लेखनी तूलिका बनती है और ध्वनि सुनते हैं। जिस तरह बाणभट्ट केवल भारत में ही नहीं होते, लेखन एक जीवंत चित्र-कृति की आकृति लेता है। अपराध उसी तरह हितोपदेश भी केवल ज्ञान-ग्रन्थों में ही सीमित नहीं हैं। जगत की जटिल गुत्थियाँ उनकी कथाओं के विषय हैं और उन्हें वह सियार जो दीदी को बुद्ध का समसामयिक लगा था, उनके सुलझाने में मन और मस्तिष्क की अतल गहराइयों तक उलझे संदेश को सर डोयल की लेखनी में भी डाल देता है! शरलॉक होम्स नाम के गुप्तचर उन कथाओं के नायक। सर कहीं पढ़ा था - 'उस मक्खी का भाग्य कोई कैसे बदले जो डोयल के उपन्यासों और कहानियों में एक ओर हिंसा और गन्दगी पर ही बैठती है।मध से परिचय ही उसका भाग्य बदल प्रतिहिंसा, घात और प्रतिघात व प्रहार और प्रतिशोध के दुर्दान्त ___ सकता है। 'बाणभट्ट केवल भारत में ही नहीं होते' - इसका कथ्य चक्रव्यूह हैं तो दूसरी ओर अपराधों के प्रति निर्लिप्त और । उसके पंखों को फूलों की ओर उड़ना सिखाता है और उसे पराग उदासीन बने रहकर उन्हें देखते रहने की प्रवृत्ति के साथ समझौता की पहचान देता है। दीदी की यह बात हमें बतलाती है कि जड़ न कर पाने की शरलॉक होम्स की विवशता है। और चेतन का समन्वित रूप ही पूर्ण सत्य है, पर उसे देख पाने भय और आतंक, उत्पीड़न और अत्याचार एवं कपट और। की क्षमता चक्षुओं में नहीं, हमारे निरामय मनोभावों में है और उन क्रूरता की शतरंज बिछाए माफिया वृत्ति के जीवित मोहरे और क्षणों में है जब हमें अवकाश होता है to stand and stare, उन्हें मात देने के लिए कटिबद्ध अपने प्राण हथेली में लिए उनके जब हमे अवकाश होता है to stand and pick up all that पीछे लगे शरलॉक होम्स! फिर भी हजारों पृष्ठों के साहित्य में is good around us, जब हमें अवकाश होता है to stand दो-चार स्थलों को छोड़ कर कथा-नायक होम्स द्वारा न कहीं and see a lovely garden in a single rose और जब हथियारों का उपयोग हुआ है, न ही कहीं हाथों का। अपराध और हमें अवकाश होता है to stand and realise the immortal जुड़े घटनाक्रम पर वे अपने घर में बैठे विभिन्न कोणों से चिन्तन spirit of the dead within us. करते हैं, सुरागों को जांचते-परखते हैं और art of deduction अतीत की अमृत ऊर्जा के स्पन्दनों की अनुभूति हमें वहाँ की अपनी अद्भुत क्षमता के बल पर उन सूत्रों तक पहुंचते हैं ले चलती है जहाँ सत्य है. शिव है. सन्दर है, जिन्हें दीदी शोण जो अपराधी के मन्तव्य और उसकी प्रणाली को स्पष्ट करते हैं। नदी के बालका कणों से लेकर आस्टिया तक बाणभट के रूप अन्तत: जब वे अपराधी को कानून के सुपुर्द करते हैं, या कुछ में खोजा करती थीं और देख भी लेती थीं। कथाओं में जब वह मरता है तो जैसे अपने कर्मों का ही फल भोग रहा होता है। होम्स के मन में अपराधी के प्रति कोई द्रोह, दुर्भाव नहीं होता इसलिए एक प्रतिद्वन्द्वी द्वारा पराजित किए जाने का भाव अपराधी को पीड़ा नहीं देता। उसे अपने दुष्कर्मों का, अपने पापों का बोध होता है या फिर आदमी द्वारा बनाई गई ० अष्टदशी / 1380 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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