SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 180
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ डाल पर वह गुजरता है उसे फूलमय बनाता चलता है। बड़ी मुश्किलों में गुजरने पर जब कोई सफलता हाथ लगती है तब "गूलर का फूल देना'' कहावत कही जाती है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने भी रंग में भंग' मे यह पंक्ति कही थी"हां-हां, जनाब तब तो गूलर भी फूल देगा।" ___ अन्त में आने वाला समय शिक्षा में नव-नवोन्मेष का है। शिक्षण की कई नवीन विधियां, पद्धतियां और प्रकल्पनाएं आविष्कृत होती रहेंगी तब हमारे लिए सेमीनार, संगोष्ठियां, कार्यशालाएं, सम्मेलन महत्वपूर्ण भूमिका के धारक होते हैं, जहां एक दूसरे के विचारों का आदान-प्रदान हो सके। एक दूसरे को अपने अनुभवों का लाभ मिल सके। कठिनाइयों एवं समस्याओं का निराकरण कर सकें। शिक्षा से जुड़े नवाचारों, सरोकारों, प्रयोगों और प्रकल्पों से रू-ब-रू हो सकें। ज्ञान की पिपाशा कभी समाप्त नहीं होती और सीखने की भी कोई निश्चित उम्र नहीं होती। परम्पराशील और बंधे-बंधाये रास्ते ताजगी नहीं देते। ज्ञान के गवाक्ष सब ओर से खुले रहेंगे तो ही हम विज्ञान-सुज्ञान की सौंधी सुगंध को आत्मसात कर सकेंगे। आपने वह कहानी तो सुनी ही होगी जिसमें रोटी का टुकड़ा प्राप्त करने के लिए लोमड़ी कौए को फुसलाती है पर कौआ अब वह कौआ नहीं रहा। लोमड़ी ने ज्योंहि उसकी प्रशंसा कर गाना सुनने को कहा, कौए ने अपेन पास रखा ट्रांजिस्टर चलाया बोला- "यह आकाशवाणी है।" लोमड़ी डरी और भागी कि यह कौआ है या और कोई प्राणी। 0 अष्टदशी / 890 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy