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________________ पत्रकार होने के नाते सभा के सान्निध्य में बिताये दो दिन मेरे जीवन के अविस्मरणीय रहेंगे। यद्यपि आज हमारे बीच न भाई डॉ. नरेन्द्र भानावत मौजूद हैं और न ही पूज्य गणपतराजजी बोहरा भी। इतने लम्बे काल में सिर्फ एक बार सन् २००६ में दिल्ली जैन महासभा ने उसी प्रकार का राष्ट्रीय पत्रकार सम्मेलन बुलाया था। वैसे कहने को हर वर्ष एक-दो पत्रकार सम्मेलन होते हैं, लेकिन वे प्रायः दिगम्बर समाज द्वारा सिर्फ दिगम्बर जैन पत्रकारों के लिए ही बुलाये जाते हैं। इस कारण जैन समाज की सशक्त आवाज नहीं बन पाती है क्योंकि समाज की आवाज बनने के लिए समान जैन समाचार पत्रों और पत्रकारों का संगठन बनना आवश्यक है। श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा और कोलकाता का स्थानकवासी जैन समाज के जीवंत कार्यों को देख कर स्थानकवासी युवकों की कार्यक्षमता पर गर्व होता है। साथ ही उन स्वर्गस्थ और वयोवृद्ध अग्रणी महानुभावों के प्रति भी श्रद्धा उमड़ पड़ती है, जिनके आदर्श और कर्मठ जीवन से इन्हें शक्ति और प्रेरणा प्राप्त हो रही है। मैं श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा के अमृत महोत्सव पर अपनी हार्दिक शुभेच्छाएँ प्रेषित करते हुए गर्व अनुभव कर रहा हूँ। अहमदाबाद बनेचद मालू शिक्षा, सेवा और साधना के आठ दशक श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा शिक्षा, सेवा एवं साधना के गौरवमय आठ दशक पूर्ण करने जा रही है तथा इस उपलक्ष में अन्य आयोजनों के अतिरिक्त एक सुन्दर पठनीय स्मारिका का प्रकाशन भी करने का निश्चय किया गया है, मैं अपने आपको धन्य मानता हूँ कि इस अवसर पर मुझे आपने याद किया एवं दो शब्द लिखने अथवा मेरी स्वरचित दो काव्य रचनाएं भेजने का अनुरोध किया। इस गौरवमय संस्था के लिए जितना भी कहा जाए कम होगा। विगत लगभग तीन दशक से जबसे मेरा इस संस्था एवं इसके कर्मठ सेवा भावी कार्यकर्ताओं से सम्पर्क हुआ है, देख रहा हूँ शिक्षा एवं चिकित्सा जैसे आधारभूत एवं महत्वपूर्ण क्षेत्र में इसने प्रशंसनीय कीर्तिमान स्थापित किये हैं। ऐसा तभी संभव है, जब इसके कार्यकर्ता पूर्ण समर्पण एवं पूर्ण पारस्परिक सौहार्द भाव से एकजुट हो लगे हुए हों, आदरणीय एवं अनुकरणीय श्री सरदारमलजी कांकरिया के नेतृत्व में, देख रहे हैं कार्यकर्ताओं की पूरी टीम सेवा-भाव से सतत कार्यरत हैं। ऐसे नि:स्वार्थ सेवाभवी कार्यकर्ताओं को नमन करता हुआ मैं श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा को उसके गौरव गरिमामय अष्ट दशक पूर्ति पर शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ एवं कामना करता हूँ कि इसके लगनशील कार्यकर्ताओं की टीम के सतत सद्प्रयासे से यह संस्था शिक्षा, चिकित्सा एवं अन्य सेवाओं के क्षेत्र में अपने कृतित्व से मानव सेवा में अग्रसर होती रहे। ० अष्टदशी / 720 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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