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________________ भँवरलाल दस्साणी महेन्द्र कर्णावट उपाध्यक्ष, श्री जैन विद्यालय, हावड़ा (बालिका विभाग) __ श्री श्वे० स्था० जैन सभा अपेन संस्थापन काल से ही लोक कल्याणकारी कार्यों से जुड़ी हुई है। प्रतिवर्ष उनका विस्तार हो रहा है तथा सभा के कार्यकर्ता प्राणपण से इसमें लगे हुए हैं। सभा की अनेक गतिविधियाँ एवं क्रिया कलाप जनोपयोगी एवं लोकोपकारी हैं। सभा सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के उद्देश्य से जुड़कर शिक्षा, सेवा एवं साधना के क्षेत्र में जो कार्य कर रही है, वह अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय है। बुक बैंक, चिकित्सालय, कम्प्यूटर केन्द्र, सिलाई केन्द्र ने पश्चिमी बंगाल के ग्रामीण अंचलों को काफी लाभ पहुंचाया है, यह सर्व विदित है। सभा की कई भावी योजनाएँ कामर्स कॉलेज, डेन्टल कॉलेज, प्रशिक्षण केन्द्र, नर्सेस ट्रेनिंग केन्द्र भी शीघ्र चालू होंगे एवं सबको लाभ मिलेगा। सभा दिन दुनी, रात चौगुनी उन्नति करे, यही भावना है। लोक कल्याण की यह मशाल जलती रहे श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा कोलकाता से हमारा परिवार घनिष्ठ रूप से विगत अनेक वर्षों से सम्बद्ध है। विशेषत: मेरे पूज्य पिताजी स्व. भंवरलालजी कर्णावट सभा की प्रत्येक गतिविधि एवं क्रियाकलाप में सक्रिय रूप से भाग लेते थे एवं लोक कल्याणकारी कार्यों एवं मानव सेवा में उनकी विशेष रुचि थी। सभा के नि:शुल्क शिविरों, बुक बैंक एवं अन्य जनोपयोगी कार्यों में वे सदैव अग्रणी रहकर कार्य करते थे। उनके इस सेवाभावी जीवन का हमारे परिवार के सदस्यों पर भी काफी प्रभाव पड़ा और हम भी सभा की प्रवृत्तियों से जुड़ गये। सभा जिस तरह लोकोपकारी एवं दीन, अनाथ एवं जरुरतमंदों की सहायता में लगी हुई है, यह सब कार्यकर्ताओं के कठोर परिश्रम, अथक अध्यवसाय एवं सेवाभावना का परिणाम एवं परिचायक है। मैं अपनी अस्वस्थता के कारण बहुत सक्रिय रूप से भाग नहीं ले पा रहा हूँ। लेकिन लोक कल्याण एवं मानव सेवा की जो मशाल हमारे अग्रजों ने ज्वलित की है, वह सदैव जाज्वल्यमान एवं प्रदीप्त रहेगी, यह निर्विवाद एवं असंदिग्ध है। सभा के सभी कार्यकर्ता मिलजुलकर एकात्म भाव से निष्ठा एवं परिश्रम पूर्वक कार्य करते हैं, ऐसी मिशाल अन्यत्र मिलना असंभव नहीं तो दुष्कर अवश्य है। यह सभा अमृत महोत्सव से आगे बढ़कर निर्विघ्न शताब्दी महोत्सव मनावे एवं लोक कल्याण तथा मानव सेवा का इसका परचम सदा लहराता रहे, यही शुभकामना है एवं प्रभु से प्रार्थना है। पारसमल भूरट महानगर की प्रथम अग्रणी जैन संस्था सन् १९२८ में संस्थापित श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा कलकत्ता महानगर ही नहीं अपितु पश्चिम बंगाल की प्रथम अग्रणी जैन संस्थाओं में एक चिर परिचित तथा अत्यन्त लोक प्रिय नाम है। विगत आठ दशक से यह सभा मानव सेवा के शिक्षा, सेवा एंव साधना के नित नये प्रकल्पों एवं आयामों से जुड़कर अनेक कीर्तिमान स्थापित कर रही है। सभा के कर्मठ सेवाभावी, उत्साही, जागरूक एवं दूरदृष्टि सम्पन्न कार्यकर्ताओं ने सेवा की जो यह अखंड ज्योति प्रज्वलित की है, वह सतत सदैव जाज्वल्यमान रहेगी एवं एक आलोक स्तम्भ, आकाश दीप बनकर सेवा के इन आयामों को यह और आगे बढ़ायेगी एवं मार्ग दर्शक बनकर अन्यों को प्रेरणा देगी। आठ दशक का यह महोत्सव सेवा की ऐसी मशाल जलायेगी जो शताब्दी महोत्सव तक देश-विदेश में ख्याति अर्जित करेगी एवं मानव मात्र के कल्याण के नये कीर्तिमान स्थापित करेगी. यही मेरा दृढ विश्वास एवं आशा आकांक्षा है। सभी कार्यकर्ताओं को मेरी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। Kichan Lal Bothra Ex-President, Shree Jain Vidyalaya, Kolkata Our Sabha i.e. Shree S. S. Jain Sabha Kolkata is fully committed to substainable developments and has completed various educational and health care programmes keeping, not only local but the entire nation in mind mainting integrated management system under the expert guardianship of Shree Sardarmalji Kankaria & his Team. I wish all around success of the Sabha. 0 अष्टदशी / 630 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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