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________________ दोनों ही विद्यालयों में विज्ञान की पढ़ाई शुरू कर दी गई है। लेबोरेटरी एवं कम्प्यूटर पूर्णतया आधुनिक एवं सुसज्जित है। इंदिरा गाँधी मुक्त विश्वविद्यालय : इसका अध्ययन केन्द्र श्री जैन विद्यालय हावड़ा है। इसके विभिन्न बी.ए., बी.कॉम, बी. पीपी आदि कोर्सेज् में सन् २००५-०६ में ५९६ छात्र एवं २००६-०७ में ७६९ छात्र अध्ययनरत हैं। इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। तारादेवी हरकचंद कांकरिया जैन कॉलेज काशीपुर १६ जून २००६ को सर्वप्रथम प्रातः १० बजे कॉलेज परिसर में भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा महामांगलिक प्रदाता महासती प्रवर्तिनी श्री चन्द्रप्रभाजी म.सा. की शिष्याओं ने विधिविधान द्वारा स्थापित करवाई। तत्पश्चात् श्रीमती तारादेवी कांकरिया की प्रतिमा का अनावरण कांकरिया परिवार द्वारा किया गया । मुख्य समारोह १२.३० बजे आरम्भ हुआ। लेफ्ट फ्रंट चेयरमेन श्री विमान बोस ने कॉलेज भवन का लोकार्पण किया एवं वादा किया कि आगामी वर्ष से यहाँ बी. कॉम पास कोर्स एवं बी. कॉम ऑनर्स की कक्षाएँ प्रारम्भ करवा दी जायेगी। समारोह की अध्यक्षता सांसद श्री सुधांशु शील ने की। मुख्य वक्ता थे प्रो. सूरजदास प्रो वाइस चांसलर एवं सम्मानीय अतिथि श्री श्रीनिवास हांडा थे। श्री कांकरिया ने कहा कि पूर्वी भारत में जैनियों का यह प्रथम कॉलेज है। इस वर्ष यहाँ माइक्रो बोटेनी एवं कम्प्यूटर साइन्स कक्षाओं में ६० छात्रों के प्रवेश की अनुमति प्रदान की गई । ५३ छात्रछात्राएं अध्ययनरत है। प्राचार्य श्री ओ. पी. सिंह एवं कांकरिया परिवार का शॉल, मोमेन्टो से सम्मान किया गया। दिनांक २६ मार्च, २००६ को काशीपुर परिसर में लक्ष्मीदेवी पीरचंद कोचर जैन कॉलेज ऑफ नर्सिंग का भूमि पूजन किया गया। भूमि पूजन की रस्म श्रीमती सुशीलादेवी पन्नालाल कोचर एवं अमेरिका से आगत श्रीमती पुष्पादेवी हीरालाल कोचर ने अदा की। इस समारोह की अध्यक्षता सांसद श्री सुधांशु शील ने की। प्रमुख अतिथि श्री सी. एस. बच्छावत आइ. ए. एस. आयुक्त कमर्शियल टेक्स पश्चिम बंगाल, विशिष्ट अतिथि श्री हरकचंदजी कांकरिया, श्री श्यामसुन्दरजी केजरीवाल, श्री अश्विनी भाई देसाई एवं मुख्य वक्ता डॉ. जयन्त बोस थे। श्री सरदारमल कांकरिया ने सबका स्वागत किया एवं बी. एस. सी. नर्सिंग कॉलेज की आवश्यकता पर बल दिया। श्री हरखचंद कांकरिया जैन विद्यालय - जगतदल वर्तमान में ३२५ छात्र कक्षा ८ तक अध्ययनरत हैं। माध्यमिक की स्वीकृति मिलने की शीघ्र संभावना है। : Jain Education International श्री जैन शिल्प शिक्षा केन्द्र राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय : माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक में सम्पति १५० छात्राएँ अध्ययनरत हैं। शनिवार एवं रविवार को कक्षाएँ लगती हैं। कमलादेवी सोहनराज सिंघवी जैन कॉलेज ऑफ ऐज्युकेशन यह शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र शीघ्र प्रारम्भ होगा। इसका आवेदन भुवनेश्वर में किया जा चुका है। : कुसुमदेवी सुन्दरलाल दुगड़ जैन डेन्टल मेडिकल कॉलेज अरबन सिलिंग का क्लीयरेन्स मिलने पर इस योजना का कार्यारंभ होगा। अतिरिक्त भूमि को वेस्ट करने का समाचार सरकारी गजट में प्रकाशित होने के बाद यह भूमि हमें मिलने की कवायद प्रारम्भ होगी। : ? श्री जैन बुक बैंक ७ मई २००६ को आयोजित समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्ध समाजसेवी श्री सुन्दरलाल दुगड़ ने की। प्रमुख अतिथि सांसद श्री सुधांशु शील, विद्यालयी शिक्षा के मुख्य सचिव श्री देवादित्य चक्रवर्ती आइ. ए. एस. राजस्थान पत्रिका के स्थानीय संपादक श्री हेम शर्मा एवं श्री संतोष जैन थे। ग्रामीण अंचल में १५०० सेट पाठ्यपुस्तकों के निःशुल्क वितरित किये गये एवं चार नये कम्प्यूटर सेन्टर की स्थापना के लिए कम्प्यूटर एवं अन्य सामग्री संबंधित स्थानों को दी गई। श्री जैन हॉस्पीटल एण्ड रिसर्च सेन्टर हावड़ा : यूरो सेन्टर की सहायता से सिटीस्केन मशीन का यहाँ उद्घाटन किया गया। हॉस्पीटल का डायलिसिस विभाग तीन सत्रों में सुचारू कार्य कर रहा है। इसमें भर्ती रोगियों की अवस्था सोचनीय एवं दयनीय होती है । ४० प्रतिशत तक छूट देनी पड़ती है। इसके सुचारू संचालन के लिए ४० लाख रुपये के कोष की आवश्यकता है। दानदाताओं से इस ओर ध्यान देने का अनुरोध है। गतवर्ष में पर्याप्त आँख ऑपरेशन शिविर हुए। एक हजार रोगियों की माइक्रो सर्जरी की गई। इस वर्ष दिनांक २४ दिसम्बर को निःशुल्क आँख माइक्रो सर्जरी शिविर विमलादेवी मित्री संस्थान व श्री सुरेशजी जैन के सहयोग से आयोज्य है। स्व. आचार्य श्री नानेश की पुण्य स्मृति में निःशुल्क पाइल्स शिविर में डॉ. शांतिलाल धाड़ीवाल मद्रास द्वारा ऑपरेशन किये जायेंगे। महिला विकास समिति का इसमें पूरा सहयोग है। सभा का स्थापना दिवस : दि. ३ सितम्बर २००६ को सभा का स्थापना दिवस आचार्य चंदनाजी, वीरायतन के सान्निध्य में अनुष्ठित हुआ। इस अवसर पर श्री चंचलमलजी बच्छावत आयुक्त कमर्सियल टेक्स पश्चिम बंगाल एवं श्री उत्तमचंदजी नाहटा रिजनल डायरेक्टर कम्पनी ऑफिस भारत सरकार का ० अष्टदशी / 470 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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