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भौतिक काया पर ओढ़ी चादर में रंच न झोल
कल्याणकुमार जैन 'शशि', रामपुर, उ० प्र०
आत्मोन्नति पथ का प्रतिपादन, आगम-सम्मत ध्येय जीवन की यात्रा के साथी, अपरिग्रह अस्तेय मूल्यों का आरक्षण, जिनके जीवन का पाथेय ऐसे पण्डित आज कहां हैं, निर्विवाद श्रद्धय
मुक्त हस्त से वितरित है, विद्वत्ता का औदार्य, पण्डितवर कैलाशचन्द्र शास्त्री सिद्धान्ताचार्य ।
वाणी में खिरतो जिनवाणी, करती है कल्लोल धार्मिक सामाजिक सेवायें, एकत्रित अनमोल, भौतिक काया पर ओढ़ी चादर में रंच न झोल उतरी ठीक धर्म काँटे पर तत्परता की तौल
युगों युगों तक शोधाश्रित हैं, मूल्यांकन के कार्य पण्डितवर कैलाशचन्द्र शास्त्री सिद्धान्ताचार्य ।।
अनेकान्त की सरिताओं का कलकल मधुर निनाद, बोध-विद्धित क्षमताओं का सचित पुण्य प्रसाद गहित तर्काश्रित विवाद की रुचियों का अपवाद जो चरित्र को मूर्ति रूप दें, इतनी कुशल खराद
विद्या वाणी, धर्मशास्त्र प्रतिपादन में प्राचार्य पण्डितवर कैलाशचन्द्र शास्त्री सिद्धान्ताचार्य ।
शूल भरे शिक्षा के पथ में जीवन हुआ व्यतीत जड़ा चला उज्ज्वल भविष्य से, भागा हुआ अतीत विजयकेतु है, स्याद्वाद-विद्यालय परम पुनीत विद्यमान है विद्याधारी, उपकृत गणनातीत
वृद्धावस्था में भी जीवन पूर्णतया अनिवार्य पण्डितवर कैलाशचन्द्र शास्त्री सिद्धान्ताचार्य ।
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