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________________ ॐ श्री आचार्य महाराज ने अपने प्रखर ज्ञान से बहुमूल्य साहित्य का सृजन कर अथवा प्राचीन साहित्य की शोध कर अथवा इन्हें प्रकाशित करके जैन साहित्य के भंडार में वृद्धि कर साहित्यिक दृष्टि से नया कीर्तिमान स्थापित किया है । आप दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति के चारित्र शिरोमणि आचार्य हैं। उनका अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित करके भेंट करने का कार्य उत्तम व प्रशंसनीय है। सफलता के लिए मेरी मंगल कामनायें एवं आचार्यश्री के चरणों में भक्तिपूर्वक प्रणति-निवेदन । -पं० वीरचन्द जैन श्री दि० जन स्वाध्याय मंदिर, भिंड 9 भौतिकवाद के चक्र में आकण्ठ निमग्न वर्तमान विश्व को सन्मार्ग का निदर्शन और श्रमणत्व का दिग्दर्शन कराया है प्रातः स्मरणीय चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज ने । इस प्रशस्त परम्परा के उन्नायक हैं आचार्यरत्न, अनेक भाषाओं के मर्मज्ञ, प्रखर तपस्वी, ओजस्वी वक्ता, अनेक ग्रन्थों के प्रणेता, परम पूज्य आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज । वे वर्तमान साधु-संस्था के अग्रणी हैं। उन्होंने श्रावक संस्था में धर्म, संस्कृति, साहित्य और श्रमणत्व की आस्था को अग्रसर किया है। -बाबूलाल पलंदी अध्यक्ष, जैन प्रगतिशील परिषद्, दमोह ॐ अभिनन्दन ग्रन्थ पूज्य आचार्यश्री के गौरवानुकूल प्रकाशित होकर समाज में प्रतिष्ठा पाएगा एवं उसका स्वाध्याय कर हजारों अन्यात्माओं की रत्नत्रयात्मक मोक्ष मार्ग के स्वरूप को समझकर मिथ्या भ्रान्ति मिटेगी। परम पूज्य आचार्यश्री चिरायु होकर चिरकाल तक धर्म की ध्वजा अखिल विश्व में फहराते रहें, यही शुभकामना है। ___ -विमल ज्ञानपीठ परिवार सोनागिर ॐ यह अत्यन्त हर्ष का विषय है कि आप पूज्य आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित कर रहे हैं। भगवान् वीर प्रभु से प्रार्थना है कि आपका यह प्रयास सफल हो। आचार्य महाराज की जीवन-गाथा सद्गुणों की पुस्तक है जिसमें मानव स्वयं अपने सन्मार्ग को ढूंढ सकता है। आज मुनिश्री जैसी विभूतियों की समाज को बहुत आवश्यकता है। -नगेन्द्रकुमार जैन बिलाला जयपुर ॐ श्रीमद् आचार्यचरण के दिल्ली-प्रवास में मुझे उनको निकट से देखने, समझने व सेवा आस्था का अर्घ्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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