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दिगम्बर साधना सभी साधनाओं में अति कठिन साधना है । तपस्या का परमोच्च बिंदु है । लगातार ५१ वर्ष तक शरीर के सारे मोह और मन की आकांक्षाओं पर नियंत्रण और संयम के द्वारा एक उच्च नैतिक आदर्श आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज ने साकार किया है । इस अवसर पर मैं उनका विनम्र अभिवादन करता हूँ । विश्व में बढ़ रहा अनियंत्रित भोगवाद और उसकी पूर्ति हेतु अनियंत्रित स्पर्धा और उसके कारण होने वाला शोषण यही आज की सबसे बड़ी समस्या है । अपरिग्रह के द्वारा वस्तुओं के न्यायोचित उपयोग से ही समान न्याय व्यवस्था का निर्माण हो सकेगा एवं उसी से प्राणीमात्र को सुख तथा समाधान मिलेगा । जैन दर्शन का यह अपरिग्रह का विचार आज श्रेष्ठ विचार है, दिगम्बर साधना उसका आचार है । अनेकांत दर्शन भी जैन दर्शन का एक श्रेष्ठ विचार है, जो किसी भी बात को अंतिम सत्य नहीं मानता है और सत्य की निरंतर खोज के लिये प्रोत्साहित करता है, सहिष्णुता एवं सर्वधर्मसमभाव के विचार का यह आधार है, राष्ट्रीय एकात्मता, विश्वबंधुत्व और मानवता के विचार को उससे बल मिलता है ।
जैन सिद्धांतों की क्रांतिदर्शिता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, नैतिकता, अहिंसा, अपरिग्रह के विचार और त्याग-तपस्या और संयम से पूर्ण सिद्धांतानुसार आचार, इसको प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति अपने जीवन में उतारने का और अपनी वाणी एवं साहित्य द्वारा अथक प्रयास द्वारा प्रचारित विस्तारित करने का काम आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज कर रहे हैं। इस काम में वे यशस्वो हों, यहो मेरी शुभकामना है ।
— प्रमोद महाजन सचिव, अखिल भारतीय जनता पार्टी
आचार्य रत्न श्री देशभूषण महाराज अभिनंदन ग्रन्थ समिति की ओर से भेजा हुआ खत मिला । मैं आभारी हूँ । इस मंगल अवसर पर मेरी शुभकामनायें ।
- मोहन धारिया
मानव के आध्यात्मिक विकास के लिए निरन्तर चिन्तनरत साधनापुरुष आचार्य रत्न श्री देशभूषण जी महाराज दिव्य व्यक्तित्व के धनी हैं । अपनी ५१ वर्षीय साधना में आपने प्रायः सम्पूर्ण भारत की पदयात्रा करके अपने प्रवचनों से केवल जैन समाज को ही नहीं, वरन् सभी को कल्याणकारी सन्देश दिया है । आपके दीर्घायुष्य की मंगल कामना करते हुए मैं आपके प्रति अपनी श्रद्धा भावना व्यक्त करता हूँ ।
- डॉ० विजयकुमार मल्होत्रा सचिव, अखिल भारतीय जनता पार्टी
आचार्य रत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
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