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संसद् सदस्य (राज्य सभा)
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भारत आज भी हजारों वर्ष की परतंत्रता के काल को भोगने पर जिन्दा है तो इसका मुख्य कारण है भारत की ऋषि-मुनियों से संस्कारित-पोषित इसकी सनातन संस्कृति । संतों-महात्माओं ने भारत को भारत बनाकर रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है । यही कारण है कि भौतिक जगत् में प्रगति के शिखर पर पहुंच जाने वाले देश भी भारत के जीवनदर्शन एवं संस्कृति को समझना व अपनाना चाहते हैं । यही एकमात्र चीज भारत को जगत् में महत्त्व का स्थान दिलाती है । आचार्यरत्न मान्यवर श्री देशभूषण जी जैसे महाराज इसके आधार स्तम्भ हैं। इनमें प्राण फूंकने वाले, जोवन देने वाले ऋषि हैं।
भारतीय समाज जब-जब जड़ता को, रूढ़िवादिता को, प्राप्त होता रहा है तो इससे छुटकारा दिलाने वाले समाज सुधारक ही तो अपने समाज में ऋषि और संत के नाम से पूजित हैं। आचार्यरत्न जी पैदल यात्रा करते हुए, देश के विशाल प्रांगण में रहते हुए, समाज से कुरीतियों को दूर भगाने को सतत प्रयासरत हैं। वास्तव में आज वे करोड़ों लोगों के प्रेरणा के स्रोत, सदाशयता, सदाचार की प्रतिमूर्ति हैं और अपने व्यक्तित्व के द्वारा व्यक्तियों को सद्गुणो बनाने का यज्ञ कर रहे हैं । आज वे देश में सार्वदेशिक महापुरुष के रूप में लोगों को उन्हीं की भाषा में उपदेश देने की अद्भुत क्षमता का प्रगटीकरण कर उन्हें शान्ति, सुख-सन्तोष प्रदान करते हैं। मैं ऐसे महापुरुष का अन्तःकरण से अभिवादन और अभिनंदन करता हूँ।
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जगदम्बी प्रसाद यादव
'आस्था का अर्घ्य
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