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गुल ए अक़ीदत
-नेमचन्द जैन, गाजियाबाद
ए पाक बातिन' ए नेक तीनत-जाने रियाजत शान-ए-इबादत तक पै खुली है राहे हकीकत' ए राजदान' ए असरार ए कुदरत'
ख्वाबे मुहब्बत की ताबीर है तू
हुस्ने वफा' की तस्वीर है तू तू देवता है मेहरो वफा' का-मखजन" है दिल में तेरे दया का नक्शा मूकम्मिल सिदको सफा"का-खाका सरापा" सबो रजा का
सत् और अहिंसा का काम लेकर
आया है तू ये पैगाम लेकर तासीर बख्शी हक ने जाँ में, जादू भरा है तेरे बयां में शोहरत है तेरी बज्में जहाँ में, गूंजे है नग्में कोनों मका" में
हर आन खुश और दिलशाद तू है
दुनिया के ग़म से आजाद तू है हस्ती है तेरी महवे इबादत", सुनता है हरदम आवाजे फितरत" वहदत" में गोया रहती है कसरत", दुनिया है तेरी यह रश्के जन्नत"
दिल में रवां है नेकी का दरिया
हस्ने अमल की बहती है गंगा तेरा तजस्सूस हैरत के क़ाबिल, तेरा तसवर" रफ़अत पैमाइल हर इक नफ़स है इरफाँ" की मंजिल, तेरी नज़र में दुनिया है बातिल
समझा है तूने हर राज़ए हस्तो
हस्ती है तेरी मुमताजए" हस्तो योगी, मुनि, ए दरवेश", ए कामिल", ए सच्चे रहबर ए खिजे "मंजिल तेरी नजर में तूफानो साहिल, आसान तुझको हर राहे मुश्किल
रोशन है सीना रोशन नजर है दोनों जहाँ की तुझको खबर है
रसवन्तिका
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