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________________ पहली ही सदा ने चौंकाया गफ़लत में पड़े इंसानों को आ-आ के खुशी से गिरने लगे जो शम्मा मिली परवानों को नज्मों को मिले अश्आर नये उनवान मिले अफ़सानों को महाहो के मंह से जो निकले दुनिया ने सूना उन गानों को गानों से उन्हीं रूहो दिल को महजज बनाने आया हूँ ए देव तुम्हारे क़दमों में सर अपना झकाने आया है सत् और अहिंसा का तुमने आकर जो यहां पैग़ाम दिया हर गाहे"दिया हर आन दिया हर सुबह दिया हर शाम दिया क्या हिन्दु, मुसलमां, ईसाई सबही को यह इज्ने आम" दिया मयखाना-ए उलफ़त से भरकर इक जामेमये गुलफाम दिया इस जामे मुहब्बत का पीकर दिल मस्त बनाने आया हूं ए देव तुम्हारे क़दमों में सर अपना झुकाने आया हूं हर शख्स को अब तो ख्वाहिश है सहबाए मुहब्बत* पीने की है तारे नज़र में खासीयत जख्मों को जिगर के सीने की अखलाक ए मुकद्दर ने घुल कर पाई है ज़िला" आईने की मुर्दो के दिलों में जाग उठी दुनिया में तमन्ना जीने की ईसार की राहों में अपनो हस्ती को मिटाने आया हूं ए देव तुम्हारे क़दमों में सर अपना झकाने आया हूं जो बात जबां से निकली है वह बात लगी सबको प्यारी हर बोल में इक शीरीनों है हर लफ़्ज़ में है इक बेदारो यूँ फूल-से मुंह से झड़ते हैं यूं सांस ने की है गुल" कारी गुलशन में नई खुशबू फैली अरु महक उठी क्यारो क्यारी खशबू से नई दिल को अपने गुलजार बनाने आया हूं ए देव तुम्हारे क़दमों में सर अपना झुकाने आया हूं हर शहर गली अरु कंचों की रुत बदली नये माहौल दिये तफरीक ए हकप्रो-बातिल करके मिट्टी में से मोती रोल दिये हर शख्श को अमृत बांटा है सब एक नज़र से तौल दिये दोजख के सजावारों के लिये जन्नत के दरीचे खोल दिये उस मर्दे-मजाहिद की पद रज आंखों से लगाने आया हं ए देव तुम्हारे कदमों में सर अपना झुकाने आया हूं जो नोके कलम से टपका है उलफत का मेरी इक राज है ये तायर की खयालों" के मेरे है पहंच यही परवाज है ये अलफाज का जाम पहनाया बस दिल की मेरे आवाज है ये मिल जाये 'जिया' गर दाद-ए सखन शायर के लिये एजाज है ये महफिल में मुनिवर भूषण की यह गीत सुनाने आया हूं ए देव तुम्हारे क़दमों में सर अपना झुकाने आया हूं १. रंजीदा २. प्रसन्न ३. सोया हुआ ४. जगाने ५. श्रद्धा ६. शरीर ७. ईश्वरीय पहचान ८. हिदायत देने वाला 8. सबह का सरज १०. उजाला ११. अंधेरा १२. भीड़ १३. एकान्त १४. नंगापन १५. आचरण १६.झमना १७. सत्य का सूर्य १५. सुन्दर फूल १६. ऊंचे वृक्ष २०. माथा २१. वहम २२. अन्धेरा २३. यशगान करने वाला २४. मजेदार २५. जगह २६. समय (घड़ी) २७. सबको निमन्त्रित करना २८. फूल जैसी रंगत की शराब का प्याला २६. प्रेम की शराब ३०. गन्दा स्वभाव ३१. चमक ३२. परोपकार ३३. जागृति ३४. फूल बिखराना ३५. सत्य और असत्य में फर्क करना ३६. उपासक ३७. खयाल का पक्षी ३८. इज्जत आचायरल श्री वेशभूषण जी महाराज अभिनन्दन अन्य १६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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