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________________ ए देव, तुम्हारे कदमों में सर अपना झुकाने आया हूं -कृष्णमुरारि 'जिया' 'hee hcc hee hee nce-hee खुशियों को बढ़ाने आया हूं, ग़म अपना बँटाने आया हं रंजर' फ़ज़ाओं को दिल की मसरूर बनाने आया हं खाबीदा मुक़द्दर को अपने बेदार कराने आया दीदार की प्यासी आंखों की मैं प्यास बुझाने आया हूं कुछ फूल अकीदत के लेकर चरणों में चढ़ाने आया हूं ए देव तुम्हारे क़दमों में सर अपना झकाने आया हैं तुम मेहरो वफा की मूरत हो, अरु सब्र ओ रज़ा के पैकर हो इस देश के यूं तो भूषण हो, कहने के लिए दिगम्बर हो इरफान -ओ हक़ीक़त की रह के हादी हो हक़ीक़ी रहबर हो धरती के चमकते गोहर हो भक्ति के मेहरे खावर' हो अनवार के चारों से दिल की जुल्मत" को भगाने आया हं ए देव तुम्हारे क़दमों में सर अपना झुकाने आया हूं कसरत में तुम्हारी वहदत" है, वहदत में कसरत रहती है हर आन बदन की उरयानो४ मौसम के थपेड़े सहती है रातों में अदा-ए खामोशो मस्ती की कहानी कहती है वख्शिश के रवाँ हर सू चश्मे अरु ज्ञान को गंगा बहती है इस ज्ञान की बहतो गंगा में खुद मैं भी नहाने आया हूं 'ए देव तुम्हारे कदमों में सर अपना झुकाने आया हूं ए जैन मनि ए धीर पुरुष गो मेरी तरह इन्सान हो तुम हामी हो अहिंसा के लेकिन अमाल-ए निको की जान हो तुम हो शान जो नस्ले आदम की दुनिया का सही ईमान हो तुम अब दिल तो मेरा यह कहता है इस दौर के बस भगवान हो तुम भगवान की मूरत पर दिल के अरमान चढ़ाने आया हं ए देव तुम्हारे क़दमों में सर अपना झुकाने आया हूं ये त्याग तुम्हारा ये भक्ति देखा तो नज़ारे झम उठे जंगल की हवाएं मस्त हुई घर बस्ती द्वारे झूम उठे हरों ने फलक पर रक्स किया अरु चाँद सितारे झूम उठे ईमान हमारे झूम उठे अरमान हमारे झूम उठे इस जान-ए तवज्जुद" की सूरत आँखों में बसाने आया हूं ए देव तुम्हारे क़दमों में सर अपना झुकाने आया हं खर्शीद-ए हकीकत की किरणें निकली तो जमीं पर फैल गई गुल हाय हसीं" पर फैल गई अशजारेबरी" पर फैल गईं मन्दिर के कलश मस्जिद के दरों गिरजों को जबीं पर फैल गई ओहाम के साये छटने लगे ईमानों यकी पर फैल गई तारीकर फजाओं को दिल की पुर नर बनाने आया हूँ ए देव तुम्हारे क़दमों में सर अपना झुकाने आया हूं रसवन्तिका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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