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________________ ३२ २६ एक दिन जब शास्त्री जी आये मिलने के लिए इतने प्रभावित हुए वह आपके सद्भाव से मिनटों की तो बात क्या है घण्टों वो बंठ रहे दे के आशीर्वाद उनसे फिर कहा ये आपने तुम पे जीवन भर रहे भारत का यह प्रधान पद और शोहरत की तम्हारी दुनिया में होगी न हद आप मानव के लिए सरदार बनकर आये हैं डबती इस कोम के पतवार बन कर आये हैं दोन दुखियों के लिए गमख्वार बन कर आये हैं दुष्ट लोगों के लिये तलवार बन कर आये हैं आपके प्रभाव से कल्याण मानव का हुआ रोशनी वह पा गया जो राह था भटका हुआ ३३ ३० आपका जोवन है सारे दीन दुखियों के लिए आपने जिसको दुआ दी उसका संकट टल गया दिल बदल जाते हैं अक्सर आपके प्रभाव से जिसका घर सूना था वह भी खूब फूला ओ फला ऐसे कुछ मोठे व प्यारे हैं वचन महाराज के जिसको जिस साँचे में ढाला वह उसी में ही ढला एक लुटेरा भी सुने तो लूटना हो छोड़ दे शान्ति का पथ यहाँ से हर किसी ने पा लिया कितने ही लोगों ने आकर आप से ली दीक्षा । मनिवर आपके सम्मान में जो भो झका जाने कितने दृष्ट लोगों का सफल जीवन हुआ सांसारिक कोप से वह पूर्ण मुक्ति पा गया आप मुनियों के मुनि हैं, करुणा के आधार हैं आपके चरणों में अपित 'रियाज' के अशआर हैं दूसरे देशों से आता है जो कोई आदमी आपकी सेवा में वह देता है आकर हाजिरी कोति फैली है अब संसार भर में आपकी गर्व है हमको मिले हैं देशभूषण से मुनि आज है संसार भर में आपका दिव्य प्रताप देशभूषण नाम है हां देश के भूषण हैं आप cles/oDS. foota ROM/ A/09/9OOR Reccces ROTOCOM आचार्यरत्न श्री वेशभूषण जी महाराज अभिनन्दन अन्य Jain Education International For Private & Personal Use Only . www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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