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________________ १६ गहरे चिन्तक ही नहीं हैं एक बड़े साधक हैं आप आत्मिकता के है रक्षक, धर्म प्रचारक हैं आप लोक के कल्याण के बेजोड़ संचालक हैं आप मानवों के हैं पिता भगवान् के बालक हैं आप कार्य सब करते हैं वो जग को भलाई के लिये आपका उद्देश्य है संसार मे हिंसा मिटे २० कोल्हापुर को आपने भगवान् का घर कर दिया और अयोध्या को भी उसके बराबर कर दिया सारे जयपुर शहर को श्रद्धालुओं से भर दिया मूर्ति भगवान् की रखवाई ये आदर दिया कितनी सुन्दर प्रतिमायें आपने लगवाई हैं चाँदनी में धल के जैसे आत्माएं आयी हैं । २१ आप जब ग्रीष्म ऋतु में आबू पर्वत पर गये इस सफर में आपके जितने भी व्यक्ति साथ थे प्यास से सूखे गले सब लोग व्याकुल हो गये पी गया सब जल कमण्डल से कोई महाराज के वेदना बढ़ने लगी सब व्यक्तियों को प्यास की कुछ ने घबरा कर श्री महाराज से अरदास की २२ आपने संकेत में एक आदमी से कुछ कहा और वह अपनी जगह से दस कदम आगे बढ़ा और एक भारी सा पत्थर जब दिया उसने हटा पानी का चश्मा निकल कर धरती पर बहने लगा आपके संकेत पर धरती से धारा बह चली साधना से आपकी यह एक घटना घट गयी २३ एक दिन थे मेघ जब आकाश में छाये हुए तब गमन के वास्ते महाराज व्यावर से चले देखा ये मौसम तो फिर कुछ लोग यू कहने लगे छोड़ दें संकल्प अपना कुछ समय के वास्ते दृढ़ था महाराज का निश्चय तो रुकते क्यों भला और अचानक आपका एक चमत्कार ऐसा हुआ रसबतिका Jain Education International २४ आगे-आगे आप थे और पीछ-पीछे संघ या गर्जना करते थे बादल पूरी शक्ति को लगा आप पर कुछ भी असर इसका मगर न हो सका ऐसी घटना थी कि जो भी व्यक्ति था हैरान था आपके पीछे ही पीछे जोर की वर्षा हुई आपके सारे सफर में कुछ नहीं बाधा हुई २५ आपका उपदेश सच्ची आत्मा का साज है आपकी आवाज ही तो वक्त की आवाज है आपके कब्जे में कोई तख्त है न ताज है किन्तु हर श्रोता के दिल पर आपका ही राज है मन्द बुद्धि भी समझ लेते हैं सारे भाव को आपके वचनों से भर लेते हैं दिल के घाव को २६ धर्म-सम्मेलन में आये लोग लाखों विश्व के सर्वाधिक व्यक्ति मगर बस आपके नजदीक थे थे विदेशी कैमरे भी आप ही के सामने गोरे आते पास और प्रणाम करके बैठते उस सभा में आये थे जब डाक्टर जाकिर हुसैन आपको आदर दिया हालाँकि वे तो थे अर्जन २७ ग्यारह गज की मूर्ति भगवान आदिनाथ की आपने मन्दिर में रखवाई तो ये चर्चा हुई राम की नगरी को अब कुछ और प्रसिद्धि मिली पहले थी बस एक की अब दो की नगरी हो गई काम में सहयोग तो हर एक व्यक्ति ने किया योग किन्तु सबसे बढ़कर बिरला जी ने ही दिया २८ आपकी ताकत के एक मुस्लिम भी कायल हो गये एक मुकदमा चल रहा था उनके रिश्तेदार पे पास वे महाराज के आये दुआ के वास्ते थे बहुत चिन्तित कि कैसे उनका ये संकट टले हाथ जिस दिन आपने उस पुरुष के सर पर रखा उसके हक में फैसला उस दिन अदालत से हुआ ४३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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