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बालपन में भूमिका नाटक में जब करते कभी उनमें बनते थे कभी सुखदेव और नारद कभी पाँव छूता आपके नाटक का हर एक आदमी आरती करते थे सारे गाँव वाले आपकी ब्याह की जब आपके परिवार में चर्चा चली लाख कहने पर भी सबके आपने शादी न की
मड़बद्री यात्रा पर आप थे जब जा रहे सामायिक करने लगे जब रात के बारह बजे आपको बैठे हुए देखा वहीं वनराज ने आप उससे हो निडर स्तोत्र पढ़ते ही रहे आपके पढ़ने का यू हो एक क्रम चलता रहा और वह वनराज बैठा ध्यान से सुनता रहा
आपकी चाची अचानक एक कुएं में गिरी कालीकट में एक दिन जब बाद चातुर्मास के चोट इस घटना से दिल पर आपके ऐसे लगी
तन्मयता से आप जब अपना सफर करने लगे आपको संसार से एकदम विरक्ती हो गयी
आपके अपमान को कुछ दुष्ट व्यक्ति जम गये आपने ली दीक्षा अपनी गहस्थी छोड़ दी
और बोले नग्न साधू रास्ते पर क्यों चले सांसारिक वस्तुओं की अब कोई इच्छा न थी।
एक घण्टे आपने भगवान् का स्मरण किया वस्त्र और भोजन की कोई आपको परवा न थो
दृष्ट लोगों का जो संकट था वह फौरन हट गया दु
आप हो निर्भीक योगो जंगलों में घमते एक दिन जब आप दिल्ली की तरफ थे आ रहे एक घटना घट गयी थी आप पर संध्या ढले दाँत पांवों में गड़ाये आपके इक नाग ने सर्प को महाराज ने झटका दिया जब जोर से दंत ? पाँव में और उसका विष चढ़ने लगा
एक घटना और भी प्रभाव की देखी गयी जबलपुर में 'जिन' विरोधी भीड़ जब बढ़ने लगी साम्प्रदायिक तत्त्वों ने चाल थो ऐसी चली क्रोध से उबला हुआ था शहर का हर आदमी ऐसी हिंसक भीड़ से मुनिवर न कुछ दिल में डरे सहस्रों के मध्य वे निर्भीक आगे बढ़ गये
१२ बस किसी से आपने उस सर्प की चर्चा न की और विष को दूर करने की कोई औषधि न ली औषधि तो आपके अपने कमण्डल में ही थी मात्रा जल की ज़रा-सी अपने पग पर डाल ली वैद्य ने दांतों को जब खींचा तो वह चिन्तित हा दृढ़ता महाराज की देखी तो प्रभावित हा
आपने फिर मार्मिक उपदेश जनता को दिया आपका एक एक वचन था प्यार में डूबा हुआ आपके उपदेश का जनता पे जादू-सा चला और बिगड़ा सन्तुलन भी ठीक सहसा हो गया यह था छोटा-सा नमूना आपके प्रभाव का और धर्मों में बढ़ा सम्मान आदर आपका
मग्न इक दिन आप थे जब आत्मा के ध्यान में सर्प एक आया कहों से और बैठा सामने उसने ये चाहा कि बढ़कर आपको वह काट ले आपके तप से हुए पूरे न उसके हौसल आपके चरणों को छूकर उसने यह वादा किया अब न मैं मानव को काटंगा मुझे कर दो क्षमा
आप आयुवृद्ध हैं पर नौजवानों-सी है चाल आपका मस्तिष्क सागर, आपका हृदय विशाल धर्म के हर क्षेत्र में है आपका रोशन कमाल खाली लौटाते नहीं हैं जो भी करता है सवाल हर श्रमी के हैं सहायक और दया के देवता आपके सम्पर्क में जो आ गया हर्षित हुआ
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आचार्यरत्न भी देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन पन्थ
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