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________________ बोमार-ए ग़म के दिल की दवा है, हाथों में तेरे बेशक शफ़ा' है आँखों में जादू लब पै दुआ है, हर हुक्म तेरा हुक्मे खुदा है आता है बन के जो भी सवाली जाता है दर से कब तेरे खाली पैरो अगरचे है जैन मत का, है सब मजाहिब में तेरी निष्ठा सच्चा है सच्चा यह कोल तेरा, है सारे धर्मों का एक मब्दा" देता है सबको दर्स ए अखव्वत'२ रखता है सबसे मेहरो मुहब्बत दिल में जिला है हर इल्मों फन की, हासिल है दौलत शेरो सुखन" की भर दी फजां में मस्ती चमन की, किस्मत जगा दी कौम-ओ वतन की छाया जहां पर मक़बूल" होकर महका चमन में तू फूल होकर आधी सदी तक कसकस के तनमन, तुने निखारा भक्ति का दपण तुझको मुबारक ऋषियों का जीवन, ए मर्दै सालिक ए देशभूषण है राहे हक में हर काम तेरा जिंदा रहेगा यह नाम तेरा ए मेरे मालिक, ए मेरे आका, ए मेरे मलजा ए मेरे मावा आया हं लेकर सिर्फ इक तमन्ना, जिसका फ़कत" है इतना खुलासा अब दूर दिल की उफताद" कर दे कल्बे जिया को तू शाद कर दे १. स्वच्छ हृदय २. अच्छा स्वभाव ३. भक्ति की जान ४. भक्ति की शान ५. सच्चाई की राह ६.भेद जानने बाला ७. प्रकृति का रहस्य ८. स्वामी भक्ति की शोभा ६. प्यार १०. कोष ११. सच्चाई और पवित्रता १२. नक्शा १३. सर से पैर तक १४. लोक परलोक १५. इबादत में लगा हुआ १६. प्रकृति की आवाज १७. एकान्त १८. यह वहदत का विलोम है १६. स्वर्ग से उत्तम २०. तलाश करना २१. कल्पना शक्ति २२. ऊंचाई २३. लगा हुआ २४. ईश्वरीय भेद २५. असत्य २६. महत्त्वपूर्ण २७. फकीर २८. पूर्ण २६. एक पैगम्बर ३०. अरोग्य ३१. उद्गम, ३२. भाई चारा ३३. शायरी ३४. पसन्द ३५. फकीर ३६. शरण स्थल ३७. बस ३८. गिरावट आचार्यरत्न श्री वेशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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