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अभिनन्दन
-डॉ. शोभनाथ पाठक आचार्य देशभूषण जी का, अभिनन्दन शतशः वंदन है, आस्थानुभूति अभिव्यक्ति उन्हीं चरणों में कुंकुम चंदन है।
कोथली गाँव कर्नाटक का, उनसे ही गौरववान् हुआ, धर्मोपदेश से ही जिनके, भारत में अचल विहान हुआ। प्रतिपल ही जैन-जागरण में, जो स्वयं समर्पित रहते हैं, पांचों व्रत अंगीकार किये, अवधूत-त्याग-तप सहते हैं।
शम-दम-व्रत-संयम-सुमनों की फुलवारी उपवन नंदन है,
आचार्य देशभूषण जी का, अभिनंदन शतशः वंदन है। जिनके पांडित्य प्रखरता की, कोई उपमा-उपमान नहीं, जो दिव्य दिगम्बर दीक्षा में कोई है श्रेष्ठ समान नहीं। भारत के कोने-कोने में, जिनका व्यक्तित्व कृतित्व अमर, बिखरी हैं विविध संस्थाएँ जिनमें समष्टि, पांडित्य प्रखर ।
मानवता के कल्याण हेतु, जो स्वयं समर्पित जीवन है,
आचार्य देशभूषण जी का, अभिनंदन शतशः वंदन है। सैकड़ों संस्थाएँ जिनके, गौरव की गाथा गाती हैं, जन-मंगल का आह्वान किये, श्रद्धा असीम दिखलाती हैं। मूर्तियाँ मनोहर बनवाकर, जो प्राण प्रतिष्ठा करवाये, उन मुनिवर के सद्भावों का हम विहँस-विहँस कर गुण गायें।
उस धर्मध्वजाधारक मुनि के प्रति हर उर में अब स्पन्दन है, आचार्य देशभूषण जो का, अभिनंदन शतशः वंदन है।
RAMANG
रसवन्तिका
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