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कर रहा विश्व वन्दन है
-शर्मन लाल जैन "सरस"
बेनगांव जनपद का, कोथलपुर निकला बड़भागी, जिसकी रज में खेला कदा हो, ऐसा वैरागी । सत्यदेव, माँ अक्कावती का, अखिल विश्व आभारी, जिनने जाया बालगोडसा, परम बाल ब्रह्मचारी ।।
जो हर रहा आज हंस करके, कण-कण का कंदन है। उन्हीं देशभूषण जी का, कर रहा विश्व वंदन है।
क्यों न करें जो निराधार, बहते को तोर बना हो, अखिल विश्व की पीड़ा हरने, जो भव पीर बना हो । रागद्वेष के हनन हेतु, संयम शमशीर बना हो, चलते-फिरते महावीर की, जो तस्वीर बना हो।
दोख रहा है कुंद-कुंद का, अब जिनमें कूदन है। उन्हीं देशभूषण जी का, कर रहा विश्व वंदन है ।।
जिनके द्वारा जैन संस्कृति में नवजीवन आया, मुस्लिम युग में मुनि मार्ग को, जिसने अग्र बढ़ाया। जिनने अपनी आत्म ज्योति से, भू का तिमिर हटाया, बाधाओं ने जिन्हें बाध्य होकर के शीश झुकाया ।
आज जहाँ में जहाँ देखिए, यही कहे नंदन है। उन्हीं देशभूषण जी का, कर रहा विश्व वंदन है ।
जब तक भारत की धरती पर, ऐसे संत रहेंगे, गीता वेद पुराण सभी के, जीवित मंत्र रहेंगे। जहाँ 'सरस' इनकी वाणी से, शिव के स्रोत बहेंगे, वहाँ एक दो नहीं, अरे, सौ-सौ साकेत रहेंगे।
ऐसे कामजयी ही काटें, इस युग का बंधन है। उन्हीं देशभूषण जी का, कर रहा विश्व वंदन है।
रसवन्तिका
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