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अभिनन्दन (महाराज श्री के बुन्देलखण्ड आगमन पर)
-डा० कैलाश कमल ..
जैनदिगम्बर मुनी संघ के महाचार्य अभिनन्दन है। बुन्देलखण्ड की पावन माटी, तुम्हें लगाती चन्दन है ।
अम्बर, धरती हुए प्रफुल्लित, जन-जन भाव-विभोर हुआ। तम से आच्छादित रजनी में, जैसे स्वणिम भोर हआ। बुन्देलों की भूमि सुकौशल, जनपद की गौरव गाथा। परम तपस्वी मुनी जनों को. सदा नवाती है माथा ॥
नवलशाह से ग्रन्थकार का, हर कण कण में गुञ्जन है। बुन्देलखण्ड की पावन माटी, तुम्हें लगाती चन्दन है।
बाल ब्रह्मचारी, मुनि नायक, परम तपेश्वर हितकारी। परमहंस, ज्ञाता, दृष्टा, निर्ग्रन्थ, दिगम्बर, व्रतधारी ॥ श्री देशभूषण युग मानव, सत्गुरु, आत्म प्रकाशी हैं। रोग. सोग उद्रेग, भवभ्रमण, अष्ट कर्म अविनाशी हैं।
जिनके दर्शन मात्र से मिटता, भवभव का बंधन है।
बुन्देलखण्ड की पावन माटी, तुम्हें लगाती चन्दन है। जब जब क्रूर, कुकर्मी, दुष्ट के, भूपर अतिचार हुये। तब तब सत्य, अहिंसा रक्षक, होते हैं अवतार नये ।। चातुर्वणी स्वयं तीथ बन, कण कण रूप अनूप किया। शान्ति गिरी और चल गिरी को, नये तीर्थ का रूप दिया।
जैनागम से कर्मशत्रु का तुमने कर दिया भजन है। बन्देलखण्ड की पावन माटी, तुम्हें लगाती चन्दन है।
संघचालिका शकुन्तला, मुनिवर, क्षल्लक, प्रतिमाधारी। संघ सहित है नमन सभी को, कृपा करो शिवमगचारी॥ धन्य धन्य शुभ घड़ी, तुच्छ यह अभिनन्दन स्वीकार करें। भक्तगणों को भविष्य में फिर, दर्शन दे उपकार करें।
नवधा भक्ति से चरण 'कमल' का नतमस्तक बन्दन है। बुन्देलखण्ड की पावन माटी, तुम्हें लगाती चन्दन है।
आचार्यरल भी वेशभूषण जी महाराज अभिनन्दन
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