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राष्ट्रीय एकता के आध्यात्मिक गुरु
श्री बलवन्तराय तायल भूतपूर्व वित्त मन्त्री, हरियाणा
हमारी भारत भूमि एक पावन भूमि है। अनेक ऋषि व मुनियों ने अपने त्याग और तपस्या से इस धरती को पवित्र किया तथा जीवन को सहज जीने की कला सिखाई । यहां धर्मगुरु न होते तो इस देश में भी पश्चिम की संस्कृति होती परन्तु हमारे धर्मगुरुओं ने हमारी संस्कृति और कला को जीवित रखा है। प्राचीन ग्रन्थों में अनेक मुनियों व ऋषियों के उदाहरण हैं जिन्होंने मानव को मानव बनाया अन्यथा मानव भी पशुवृत्ति का होता। वर्तमान युग एक भौतिक युग है जिसे वैज्ञानिक युग भी कहते हैं। मनुष्य भोग वृत्ति की ओर दौड़ रहा है, त्याग वृत्ति कम होती जा रही है। यह एक कटु सत्य है। परन्तु इस भौतिक युग में भी जैनाचार्य श्री देशभूषण जी महाराज लम्बे समय से दिगम्बर साधक के रूप में भारत भूमि पर जन-जन को धर्मोपदेश देकर हमें मानवता का पाठ पढ़ा रहे हैं ।
लगभग २० वर्ष पूर्व आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज दिल्ली से विहार कर के हिसार पधारे थे। उस समय स्थानीय कटला रामलीला में महाराज का प्रवचन हुआ। अपने स्व० मित्र श्री देवकुमार जैन के साथ महाराज के दर्शन का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ। राष्ट्रीयता और आध्यात्मिकता के प्रति हमारा कुछ मित्रों का लगाव रहा है। गांधी जी के जीवन को देखा है और उनका मन्थन भी किया है । जैनधर्म में अहिंसा व अपरिग्रह के सिद्धान्त को प्राथमिकता दी गई है। गांधी जी ने भी हमें यही सिखाया थो। इसीलिये इसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ा और आचार तथा विचार शुद्ध रहे। आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज ने एक सच्चे धर्मगुरु के रूप में देश को निर्भीकता का पाठ पढ़ाया। उनका व्यक्तित्व विशाल है। जैसा हमने सुना था वैसा ही उनके दर्शन करने पर पाया । उनकी वाणी में सरस्वती है, त्याग और तपस्या है। आज के युग में ऐसे महान् त्यागी और तपस्वी मुनि के दर्शन हो पाना अपने आप में एक विलक्षणता है ।
महाराज श्री ने देश के कोने-कोने में पद-यात्रा द्वारा सामाजिक कुरीतियों, धार्मिक अन्धविश्वासों के प्रति भारतीय जनमानस को आन्दोलित किया है। लाखों-करोड़ों लोगों को सदाचारपूर्ण जीवन व्यतीत करने हेतु प्रतिज्ञा दिलवाई है। यह प्रसन्नता की बात है कि दिगम्बर परिवेश में रहने पर भी आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज ने राष्ट्रीय एकता एवं विश्वबन्धुत्व के मानवीय मूल्यों के प्रति राष्ट्र को जागृत किया है। मैं महाराज श्री के चरणों में अपने श्रद्धासुमन चढ़ाता हुआ उनकी दीर्घ आयु की कामना करता हूं।
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कालजयी व्यक्तित्व
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