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संस्मरण
३३.
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जब पर में कांटा चुभवाया
मुनि श्री अगरचन्द वि० सं० २०१५ की बात है, उन दिनों केसरीमलजी जो भी कांटे की उस तकलीफ को देखता दांतों तले सुराणा ग्यारहवीं पडिमा कर रहे थे । पडिमाधारी अंगुली दबा लेता। वे उनके कष्ट को देखकर कांटे को श्रावक बहुत कम होते हैं। इसमें समस्त कष्टों को सम- निकालना भी चाहते, लेकिन वे दृढ़ता के साथ मना कर भाव से सहन करना होता है । श्री सुराणाजी ने यही सोच देते । काफी दिन तक समभाव से यह कष्ट सहन किया। कर अपने पैर में एक काँटा चुभवाया। उस कांटे को पैर उनकी इस आत्म-शक्ति ने ही उन्हें साधु पुरुष के रूप में ही चुभा हुआ रहने दिया । चलने-फिरने में बहुत कष्ट में प्रतिस्थापित किया है । होता था। किन्तु केसरीमलजी ने उफ् तक नहीं किया,
कौन कहता है सुराणाजी कठोर हैं ?
0 साध्वी श्री सूर्यकुमारी (सरदारशहर) वि. सं २०१६ में जब हम राणावास पहुंचे तो बस, फिर देखो, सारी बाधायें वहीं समाप्त हो जायेंगीं। हमारे मन में डर का भूत सवार हो रहा था, क्योंकि दूसरी बात यह है कि भारतीय संस्कृति में मर्यादा का हमने सुन रखा था कि सुराणाजी बहुत कठोर स्वभाव के बहुत महत्त्व है। छोटी-छोटी मर्यादाएँ भी बहुत बड़ा हैं, उनके सामने किसी का भी टिकना बहुत मुश्किल की राजपथ पकड़ा सकती हैं। आप अभी बालक हैं। इन बात है, लेकिन जब हमने प्रत्यक्ष में उनका व्यवहार बातों का ध्यान रखना; आपका जीवन चमकेगा। देखा तो आँखों को विश्वास ही नहीं हुआ।
. ये दोनों बातें आज भी मुझे याद हैं। साधु जीवन एक दिन उन्होंने मुझे कहा, साध्वी सूर्यकुमारीजी ! में इन दोनों बातों का बड़ा महत्त्व है । तेरापंथ मैं आपको दो बातें बता रहा है, उनमें से पहली बात तो धर्म संघ की तो मूल भित्ति ही ये दोनों बातें हैं। अब है विनय ! विनय को ही परम कर्तव्य समझो ! कोई मैं सोचती हूँ कि सुराणाजी कठोर कहाँ हैं, वे तो एकदम, भी कुछ भी कहे तो आप हाथ जोड़कर स्वीकार कर लो। विनम्र हैं। वे स्वयं विनय व मर्यादा की खान हैं।
00 अटल नियम : पौरुष के खिलाड़ी
0 साध्वी विनयवतीजी (झांसी) V सूश्रावक केसरीमलजी सुराणा का जीवन नियमों की बारे में पूछताछ की तो बताया गया-यहाँ से चिनगारी भित्ति पर टिका है। नियम ही आपके जीवन के बहुमूल्य चालीस मील के लगभग है। निर्धारित कार्यक्रम के अन. आभूषण हैं । एक भी नियम लेना और उसका सम्यक् सार कार रवाना हुई और ठीक चालीस मील का रास्ता रूपेण पालन करना जहाँ आज के बुद्धिजीवियों के लिए तय कर चुकने के बाद गाड़ी एक झोपडी के पास आकर अपनी शक्ति के बाहर हो गया है। वहाँ आपका सारा रुको क्योंकि सूर्य अस्त होने वाला था और आपके कालोकाल जीवन नियमों से ओत-प्रोत है।
सामायिक प्रतिक्रमण करने का नियम है, आप गाड़ी से एक बार की बात है कि संस्था निर्माण हेतु चन्दा नीचे उतरे और झोंपड़ी के मालिक से अन्दर आने की एकत्र करने के लिए आप अपने कुछ साथियों सहित आज्ञा पा सामायिक-प्रतिक्रमण में लीन हो गये। सामायिक दक्षिण यात्रा पर थे। यात्रा के दौरान एक दिन आप आने के पश्चात आगे का रास्ता तय करने की सोची. सभी लोग सीमोगा पहुंचे। वहाँ के कार्य से निवृत होकर लेकिन कैसे तय करें? रात्रि में कार में सफर करना आपको चिनगारी जाना था। वहां के लोगों से मार्ग के नहीं था, यह भी आपके नियम है।
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