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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा जीवन परिचय १३
- प्रथा के रूप में रोना-धोना नहीं करना और न ही किसी के देहान्त होने पर प्रथा के अनुसार मिलने जाना, केवल मिलने के उद्देश्य से मिलने जाना । - धूम्रपान न तो करना और न ही कराना ।
-राणावास में रहते हुए प्रतिदिन नौ सामायिक करना । - पाँच वर्ष तक वर्ष में एक थोकड़ा सीखना ।
(६) वि० सं० २००३ भाद्रपद शुक्ला ५ - मुनिश्री जयचन्दलाल जी से निम्न त्याग लिये- राणावास में रहते हुए प्रतिदिन दस सामायिक करना ।
- स्नान करने में आठ सेर से अधिक पानी काम में नहीं लेना ।
- वर्ष में पच्चीस दिन के अतिरिक्त ब्रह्मचर्य का पालन करना ।
- भोजन करने बैठते समय साधु-साध्वी को आहार देने की भावना भानी ।
(७) वि० सं० २००४ भाद्रपद शुक्ला ६ मुनिश्री पूनमचन्दजी से निम्न त्याग लिये
- राणावास में रहते हुए प्रतिदिन ११ सामायिक करना किन्तु माह में तीन दिन तक मीटिंग आदि के कारण आगार रखना ।
- स्नान करने में पाँच सेर से ज्यादा पानी काम में नहीं लेना ।
- प्रतिदिन चार घण्टे मौन रखना ।
-वर्ष में बीस दिन के अलावा ब्रह्मचर्य का पालन करना ।
(5) वि सं० २००५ भाद्रपद शुक्ला १० - मुनिश्री सोहनलालजी से निम्न त्याग लिये- राणावास में रहते हुए प्रतिदिन १२ सामायिक करना ।
- स्नान करने में तीन सेर से अधिक पानी काम में नहीं लेना । -वर्ष में दस दिन के अतिरिक्त ब्रह्मचर्य का पालन करना ।
(६) वि० सं २००८ श्रावण कृष्णा १४ - मुनिश्री भोमराजजी से निम्न त्याग ग्रहण किये
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- भाई श्री भँवरलाल सुराणा एवं श्रीमती सुन्दरबाई सुराणा के अलावा कहीं भी मिष्ठान्न भोजन नहीं करना ।
- अछाया में नहीं सोना ।
- एक वर्ष में तीन बार से ज्यादा स्नान नहीं करना ।
(१०) वि० सं० २००६ पौष शुक्ला १९ को आचार्य श्री तुलसी से सरदारशहर में निम्न त्याग लिये
— जीवनपर्यन्त स्नान नहीं करना ।
- वर्ष में केवल बारह बार दस तोला पानी से शरीर साफ करना ।
-आठ वर्ष तक साठ द्रव्यों से अधिक नहीं खाना ।
- खाट ढोलिये पर सोने का त्याग ।
- जीवन पर्यन्त ब्रह्मचर्य का पालन करना ।
- ओढ़ने-बिछाने का त्याग
(११) वि० सं० २०१० फाल्गुन शुक्ला ११ को पाली में मुनिश्री अमोलकचन्दजी से इस प्रकार त्याग लिये
- जीवनपर्यन्त स्वस्थ अवस्था में सामायिक प्रतिक्रमण करना ।
- सूर्यास्त के पश्चात् केवल रेलगाड़ी से ही यात्रा करनी, अन्य किसी वाहन से नहीं करनी ।
- विशिष्ट अणुव्रती के नियमों का पालन करना ।
(१२) वि० सं० २०१२ भाद्रपद शुक्ला १० - आचार्य श्री तुलसी से निम्न प्रकार के त्याग लिये
-पांच वर्ष तक खुले मुंह नहीं बोलना ।
पाँच वर्ष तक सिले सिलाए कपड़े नहीं पहनना।
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