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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन प्रन्थ : तृतीय खण्ड
७. सृजनशील व्यक्तियों के प्रति लोग सहज ही आकृष्ट होते हैं। ८. सृजनात्मकता का उत्पादन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। ६. सृजनात्मकता से सम्बद्ध गतिविधियाँ समाजोपयोगी होनी चाहिए। सृजनात्मकतासम्पन्न व्यवितयों के व्यक्तित्व-लक्षण
सृजनात्मकतासम्पन्न व्यक्तियों के व्यक्तित्व-लक्षणों का पता लगाने के लिए गेजल्स तथा जेक्सन द्वारा सन् १६५८ में, मेक्नान द्वारा सन् १९६० में तथा टारेन्स द्वारा सन् १९६२ में अध्ययन किये गये । इसी प्रकार के अध्ययन रेड, किंग तथा विकवायर (१९५६) तथा डा० एम० के० रैना ने भी किये । प्रस्तुत निबन्ध के लेखक ने भी १९७३ में इस विषय पर कार्य किया।
इन अध्ययनों में से पाल टारेन्स द्वारा उच्च सृजनात्मकतासम्पम्न व्यक्तियों पर किये गये अध्ययनों से जिन व्यक्तित्व-लक्षणों का पता चलता है उन्हें वे अपनी पुस्तक में इस प्रकार वर्णन करते हैं१. गहन अनुराग
२४. लड़ाकू तथा निषेधात्मक वृत्ति अपनाना । २. सिद्धान्तों के प्रति आदरभाव
२५. विचित्र आदतों को अंगीकार करना। ३. सदैव किसी न किसी चीज से कुण्ठित अनुभव २६. परिश्रमी तथा उद्यमी। करना।
२७. दूसरों के विचारों को ग्रहण करने में उदार । ४. रहस्यों के प्रति आकर्षण ।
२८. अध्यवसायी। ५. कठिन कार्यों को करने का प्रयत्न ।
२६. कुछ अवसरों पर पीछे हटना। ६. आलोचना में रचनात्मक रुख ।
३०. मानसिक गम्भीरतासम्पन्न होना । ७. साहसिकता
३१. कार्य के प्रति निश्चयात्मक रुख अपनाना । ८. विवेक बुद्धि तथा दृढविश्वास ।
३२. पुरोगमिता का पक्षधर होना । ६. स्वास्थ्य सम्बन्धी मान्यताओं की उपेक्षा । ३३. भाग्यवादी होना (कुछ सीमा तक)। १०. विशिष्ट होने की आकांक्षा ।
३४. अपने कार्य के प्रति ईमानदार । ११. संकल्प का धनी होना ।
३५. अनावश्यक विस्तार से अरुचि । १२. जीवन मूल्यों में भिन्नता होना ।
३६. अधिकार एवं शक्ति के प्रति अपरिग्रही १३. असन्तोष
भाव । १४. प्रभुत्वाकांक्षी होना ।
३७. अटकलबाजी (सट्टेबाजी) के प्रति रुचि । १५. छिद्रान्वेषी होना।
३८. साहसपूर्ण अस्वीकृति प्रकट करना। १६. दूसरों से भिन्न समझे जाने का भय नहीं होना । ३६. किसी सीमा तक असंस्कृत व्यवहार कर बैठना । १७. जो कुछ हो रहा है उसे पूरी तरह ठीक न ४०. कहने की बजाय करने में अधिक विश्वास समझना।
होना। १८. एकान्तप्रियता।
४१. चंचलता तथा अस्थिरता। १६. अन्तर्मुखता
४२. हठी होना। २०. कार्य करने का असामान्य समय चुनना।
४३. दृष्टिसम्पन्न होना। २१. व्यापार एवं व्यवहारकुशलता का अभाव । ४४. खतरे मोल लेने की प्रवृत्ति (चुनौती झेलना)। २२. गलतियाँ करना।
४५. बहुमुखी प्रतिभासम्पन्नता । २३. ऊब महसूस न करना ।
४६. अकृत्रिम तथा सहज व्यवहार का धनी होना।
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Vyas B. L. : Personality Traits of Creative Children (M. Ed. Dissertation) 1973. Torrance E. P. : Guiding Creative Talent, Englewood Cliffs. N. J. Prentice Hall, 1962.
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