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सन्देश
शुभकामना
भारत के उपराष्ट्रपति के सचिव अधिकतर लोगों का दूसरों के समक्ष परिचय देने की
नई देहली आवश्यकता होती है। किन्तु महान त्यागी और स्थिर
२३, नवम्बर १९७६ योगी श्री केसरीमलजी सुराणा का जीवन स्वयं बोलता
Secretary है। उसके थोड़े से सम्पर्क से ही उनका परिचय स्वतः
To The Vice-President of India. प्राप्त हो जाता है। सेवा के साथ संयम, अनुशासन और
New Delhi प्रामाणिकता का जो आदर्श उन्होंने रखा है, वह दुर्लभ है।
___उप-राष्ट्रपति जी को यह जानकर प्रसन्नता है कि आप उनकी सहज श्रद्धा और निष्ठा से सभी प्रभावित होते हैं, श्री केसरीमलजी सराणा के सम्मान में एक अभिनन्दन जिससे उनके हाथों असम्भव काम भी सम्भव हो जाते हैं। ग्रन्थ प्रकाशित कर उन्हें भेंट करने जा रहे हैं। इसकी
श्री सुराणा जी गृहस्थ साध है। उनके बाहरी सफलता के लिए वह अपनी शुभकामनाएँ भेजते हैं। व्यक्तित्व और रहन-सहन में जिस प्रकार सामान्य गृहस्थ
-अमरनाथ ओबराय व्यक्तित्व से भिन्नता प्रतीत होती है, उसी प्रकार वह आन्तरिक जीवन में भी अध्यात्म परायण रहने का। ध्यान रखते हैं।
राजस्थान सरकार लोग कहते हैं, राणावास में विशाल भवन उनके
राज्यपाल सचिवालय संरक्षण में बने हैं। किन्तु समाज के हजारों विद्यार्थियों के
राजभवन जोवन मन्दिर का जो निर्माण उनके द्वारा हुआ है, उसका
जयपुर महत्व उसकी तुलना में बहुत अधिक है। आज देश में
दिनांक : १८, जनवरी १९८० सभा संस्थाओं की बाढ़ आ रही है। किन्तु थोड़े समय के
मुझे प्रसन्नता है कि कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा पश्चात ही उनका स्वरूप धूमिल हो जाता है। पर,
अभिनन्दन ग्रन्थ समिति, राणावास की ओर से एक राणावास स्थित श्री सुमति शिक्षा सदन का आदर्श और
सार्वजनिक अभिनन्दन समारोह आयोजित किया जा रहा गौरवशाली चित्र हमें इतने वर्षों बाद भी दृष्टिगोचर
पर है एवं इस अवसर पर श्री केसरीमलजी सुराणा को अभिहोता है, उसका श्रेय 'काकासा' श्री केसरीमल जी
नन्दन ग्रन्थ भेंट किया जायगा । सुराणा को है।
मुझे आशा है श्री जैन श्वेताम्बर मानव हितकारी संघ किसी के दो उत्तराधिकारी होते हैं, किसी के चार। जिस प्रकार विगत पैतीस वर्षों से राणावास ग्राम में किन्तु श्री सुराणा जो के हजारों उत्तराधिकारी गाँव-गाँव शिक्षा एवं ज्ञान के क्षेत्र में अपने चरम लक्ष्य की ओर में फैले हुए हैं। उनके द्वारा जलाई हुई यह ज्योति युग- अग्रसर होता रहा है, भविष्य में इसी प्रकार समाज की युग तक समाज के ऊँचे संस्कार और विचार का आलोक सेवा करता रहेगा। दिखाती रहेगी।
अभिनन्दन समारोह एवं इस अवसर पर प्रकाशित -मुनि राकेश कुमार अभिनन्दन ग्रन्थ की सफलता के लिये मैं अपनी समस्त शुभ कामनायें प्रेषित करता हूँ।
-रघुकुल तिलक
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