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कर्मयोगी श्री केशरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड
पद
सत्र १९७५-१९७६ में गठित प्रथम कार्यकारिणी में निम्न सदस्य थेऋ० सं० नाम १. श्रीयुत सम्पतकुमार जी गदैया
अध्यक्ष २. श्रीयुत केसरीमलजी सुराणा
मन्त्री ३. श्रीयुत पारसमल जी दोसी
सदस्य ४. श्रीयुत विरदीचन्द जी चौपड़ा
सदस्य ५. श्रीयुत चांदमलजी शर्मा
सदस्य (विश्वविद्यालय प्रतिनिधि) ६. श्रीयुत गोविन्दलाल जी माथुर
सदस्य (प्राचार्य) ७. श्रीयुत दयालसिंह जी गहलौत
सदस्य ८. श्रीयुत भंवरलाल जी आच्छा
सदस्य ६. श्रीयुत छगनलाल जी कोठारी
सदस्य (प्राध्यापक प्रतिनिधि) सत्र १९८१-८२ में गठित कार्यकारिणी के सदस्यक्र० सं० नाम
पद १. श्रीमान भैरूलाल जी धाकड़
अध्यक्ष २. , गणपतमल जी भंडारी
उपाध्यक्ष ३. . केसरीमल जी सुराणा
मन्त्री जब्बरमल जी भंडारी
सदस्य ५. , ताराचन्द जी लूँकड़
सदस्य , पुखराज जी कटारिया प्रो० आर० सी० भण्डारी
सदस्य (विश्वविद्यालय प्रतिनिधि) ८. श्रीमान विरदीचन्द जी चौपड़ा
सदस्य ६. , मोतीलाल जी धोका
सदस्य १० , जयप्रकाश जी गादिया
सदस्य ११. , भूपेन्द्र जी मूथा
सदस्य १२. प्रो० एस० सी० तेला
सदस्य (प्राचार्य) १३. श्रीमान मनोहरलाल जी आच्छा
सदस्य (प्राध्यापक प्रतिनिधि) महाविद्यालय कर्मचारी वर्ग
सदस्य
किसी भी संस्था का निर्माण एवं विकास केवल बाह्य साधनों की सम्पन्नता पर निर्भर नहीं होता, उसके लिए निष्ठावान, कर्मठ एवं पूर्ण समर्पित कर्मचारी वर्ग चाहिये। यह गर्व के साथ कहा जा सकता है कि महाविद्यालय कर्मचारी वर्ग महाविद्यालय के विकास में जी-जान से जुटा रहता है।
महाविद्यालय के प्राध्यापकों का चयन विश्वविद्यालय के नियमों के अनुरूप चयन-समितियों के द्वारा किया जाता है । अन्य कर्मचारियों का चयन भी साक्षात्कार द्वारा किया जाता है।
प्राध्यापक-वर्ग के शैक्षिक-स्तर की उच्चता में अभिवृद्धि के लिए प्राध्यापकों को समय-समय पर संगोष्ठियों, सम्मेलनों, सेमिनार, कार्यशालाओं, रिफ्रेशर कोर्स, प्रशिक्षण कोर्स आदि में भाग लेने हेतु बाहर भेजा जाता है।
सन् १९७४-७५ में महाविद्यालय को राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हुई थी, फिर भी
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