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श्री जैन श्वेताम्बर तेरापन्थी मानव हितकारी संघ, राणावास का इतिहास
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उपसंहार भारतवर्ष में जिस प्रकार पं० मदनमोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और विश्वकवि श्री रवीन्द्रनाथ ठाकुर का शान्ति निकेतन, बोलपुर प्रसिद्ध सस्थान है, उसी प्रकार राजस्थान में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ, राणावास का स्थान अपनी अनुपम प्रवृत्तियों के लिए विख्यात है। यह भारत की भावी विभूति विद्यार्थी वर्ग को शिक्षा प्रदान कर चरित्र-निर्माण का आदर्श वि० सं० २००१ से कर रहा है। इसमें अब तक हजारों छात्र शिक्षा ग्रहण कर भारत की समृद्धि में सहयोग प्रदान कर रहे हैं । वर्तमान में संस्था के विभिन्न स्कूलों व महाविद्यालय में लगभग १५०० छात्र शारीरिक, बौद्धिक, नैतिक और भौतिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
छात्रावासों में ५०० छात्र सबल शरीर का निर्माण करते हुए चरित्र-निर्माण का आदर्श जीवन व्यतीत कर रहे हैं । इन सारे कार्यक्रमों के व्यवस्थित संचालन के लिए १२ प्रवक्ता, ३८ शिक्षक, ६ गृहपति, ७ लेखक, ५ मुनीम, १६ रसोईदार, ३ चौकीदार, ११ परिचारक, १४ अन्य व्यक्ति कुल १११ कर्मचारी अपना योगदान अर्पित कर रहे हैं ।
कुल मासिक खर्च लगभग ५०,००० रुपयों से अधिक का है जो पूजी के ब्याज, राजकीय अनुदान, विद्यार्थियों से पाठन शुल्क और दानदाताओं से आर्थिक सहयोग रूप में प्राप्त होता है। महामहिम युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी, युवाचार्य महाप्रज्ञजी, विद्वान साधु-साध्वीगण, तथा प्रबुद्ध विचारकों के सहयोग को भी प्राप्त किया जाता है।
माला के मनकों को व्यवस्थित करने में जिस प्रकार सुदढ़ सूत्र की आवश्यकता है, उसी प्रकार संघ के इन सब आयामों को सुसंचालित करने के लिए संयमी, दृढनिश्चयी एवं समाजसेवी कर्मयोगी श्री केसरीमल जी सुराणा, मंत्री की पूर्ण उपयोगिता है, जो संघ के सारे परिवार में सुन्दर सुमन में सुगन्ध की तरह व्याप्त हैं। वे अपने तन, मन और धन के साथ स्वेद और रक्त का बलिदान देकर संघ की उन्नति में दिन-रात सचेष्ट एवं संलग्न हैं। संघ की विभिन्न प्रवृत्तियों का विस्तार से विवरण आगे के पृष्ठों में दिया जा रहा है।
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