________________
रहे हैं आदरणीय प्रो० बी० एल० धाकड़ साहब । आप ही कि निरन्तर सरेरणा व सद्प्रयासों से यह कार्य सम्पन्न हो पाया है। प्रो० धाकड़ साहब द्वारा उदयपुर से निरंतर पत्र-व्यवहार समय-समय पर राणावास पधार कर विचार विमर्श एवं मार्गदर्शन, रचनाओं हेतु विज्ञ लेखकों से व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क । आपकी इस कर्मठता से ही इस कार्य का धरातल निर्मित हो सका । मैं प्रो०धाकड़ साहब के प्रति शब्दों में अपना आभार व्यक्त करने में सर्वथा असमर्थ है । वस्तुतः ग्रन्थ उनकी प्राणवान प्रेरक शक्ति का सुफल है।
सम्पादन कार्य का भार विद्वान अनुभवी बंधु डा० देव कोठारी ने ग्रहण किया। उनकी सम्पादन कला ने ग्रन्थ को आकार दिया। डा. कोठारी का सहयोग अत्यंत श्लाघनीय रहा है। मैं उनके प्रति हादिर्क आभार व्यक्त करता हूँ। .
अभिनंदन ग्रन्थ में प्रकाशित विभिन्न रचनाओं के विद्वान रचयिताओं के प्रति मैं अपनी हादिर्क कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ, जिनके अमूल्य सहयोग से यह ग्रन्थ साहित्यिक उपलब्धि सिद्ध हो सका है। अभिनंदन ग्रन्थ के प्रथम खंड एवं द्वितीय खंड की सामग्री के संकलन में महाविद्यालय में कार्यरत मेरे सहयोगी प्राध्यापकों का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष विशेष योगदान रहा। प्रो० डी० सी० भंडारी आदि के प्रति मैं आभारी हूँ। प्रो० वी० सी० श्रीवास्तव एवं प्रो० बी० एल० धाकड़ के प्रति मैं बड़ा आभारी हूँ जिन्होंने अंग्रेजी भाषा को सामग्री के आकलन में अपना योगदान दिया। संघ के इतिहास सम्बन्धी सामग्री के आकलन में श्री तख्तमलजी इन्द्रावत एवं विभिन्न मानचित्रों के निर्माण में श्री शांतिलाल वैष्णव एवं श्री बी० एल० कोठारी का प्रशंसनीय योगदान रहा, इनके प्रति भी मैं आभारी हूँ। श्री भंवरलाल जी आच्छा एवं श्री अवतारचन्द जी भंडारी के प्रति मैं आभारी हूँ जिन्होंने क्रमश: समाज, धर्म संघ के गणमान्य सज्जनों एवं संघ के विशिष्ट भूतपूर्व छात्रों के परिचय से सम्बन्धित सामग्री का संकलन किया। ग्रन्थ प्रकाशन कार्य में श्री कशलराज जी जैन का विभिन्न पहलुओं से प्रशंसनीय योगदान रहा, उनके प्रति भी मैं आभारी हूँ। ग्रन्थ के मुद्रण का भार श्री श्रीचन्दजी सुराणा ने ग्रहण किया और उसके सफल निर्वाह में सक्षम रहे हैं। मुद्रण कार्य में कागज, टाइप आदि से सम्बन्धित आदि अनेक बाधाएँ आई, जिन का निराकरण श्री सुराणाजी ने अत्यन्त विवेक के साथ किया । मैं उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता है।
卒个容卒卒卒卒卒卒个个个个伞伞伞伞伞伞伞伞伞李李
प्रो० डी० मी० भंडारी के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूँ, जो मेरे सम्पूर्ण कार्य में मेरे सबसे निकट के महयोगी रहे हैं। उन्होंने ग्रन्थ के सह-सम्पादक के कार्य में सक्रिय सहयोग दिया और इसके अतिरिक्त अभिनन्दन ममारोह के प्रधान कार्यालय के सम्पूर्ण कार्यभार को वह्न किया। ... . . .
अन्त में मैं पुनः महासमिति, संचालन समिति एवं प्रकाशन समिति के माननीय सदस्यों के प्रति जिनका मार्गदर्शन प्राप्त हुआ तथा उन सभी महानुभावों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ जिन्होंने प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष मुझे इस कार्य में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया।
एस0 सी0 तेला (प्रबन्धक सम्पादक)
६ अप्रेल, १९८२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org