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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड
११. राणावास गांव
रामदेव का मेला १२. काजलवास
गोरमनाथ का मेला १३. वायड़
भेरूजी का मेला १४. धनला व रामसिंहजी का गुड़ा में भी मेले भरते हैं।
भादवा की पूर्णिमा सम्पूर्ण भादवा मास फागुन सुदी ११
कृषि व व्यवसाय
कृषि यहाँ का मुख्य व्यवसाय है । अन्य व्यवसाय भी कृषि उपज पर ही निर्भर हैं। कृषि मानसन पर अवलम्बित होने के कारण कुओं द्वारा सिंचाई करनी पड़ती है। फुलाद, डिगोर व सारण के तालाबों से भी सिंचाई होती है। सिंचाई की सुविधा के अनुसार लगभग रबी व खरीफ की दोनों फसलें यहाँ होती है। गेहूँ, जौ, मक्का, ज्वार-बाजरा, तिलहन, चना, कपास, अरण्डी, शकरकन्द, ईसबगोल यहाँ की मुख्य फसलें हैं। शकरकन्द व ईसबगोल की उपज इतनी प्रचुर मात्रा में होती हैं कि इन्हें देश के विभिन्न भागों में भेजा जाता है। चमड़े की रंगाई व चमडे का अन्तर्देशीय व्यापार भी यहाँ होता है। सूत कातना व रेजा बुनना भी कुटीर उद्योग के रूप में यहाँ पर प्रचलित है । व्यापार की मुख्य बागडोर महाजनों के हाथ में है । अधिकतर महाजनों का व्यापार-धन्धा राजस्थान से बाहर और प्रायः दक्षिण भारत में है, जिससे कांठा क्षेत्र लक्ष्मीपुत्रों के सुदृढ़ दुर्ग के रूप में पाली जिले में प्रसिद्ध है ।
यातायात के साधन
कांठा क्षेत्र यातायात की दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है। मारवाड़ जंकशन से उदयपुर मेवाड़ जाने वाली रेलवे लाईन इस क्षेत्र में से होकर गुजरती है, जिस पर मारवाड़, राणावास, फुलाद, व गोरमघाट के तीन रेलवे स्टेशन हैं । पक्की सड़कें नगण्य हैं । राज्य परिवहन बसें भी नहीं चलती हैं। कच्ची सड़कों द्वारा गांव एक-दूसरे से जड़े हुए हैं । उन कच्ची सड़कों पर प्राइवेट बसें चलती हैं । वर्षा ऋतु में अनियमित भी हो जाती हैं। चिकित्सा व स्वास्थ्य
इस दृष्टि से भी यह क्षेत्र विकसित नहीं है । आयुर्वेद व एलोपैथी के कुछ चिकित्सालय अवश्य बड़े गाँवों में खुले हुए हैं। कुछ स्थानों पर प्राइवेट औषधालय भी हैं । ज्यादातर ग्रामीण देशी इलाज कराते हैं और झाड़ा-फंका, बोलमा आदि में विश्वास करते हैं। इसके लिए रामसिंहजी का गुड़ा का भूत बाबा, वायड़ का भेरूजी का मन्दिर, राकाणा-यक्ष, सारण का निर्मला पीर तथा मलसा बावड़ी का झूठलापीर स्थान मुख्य हैं, जहाँ ग्रामीण लोग बीमारी दूर कराने के लिए झाड़ा-फूका व बोलमा के लिये जाते रहते हैं। प्रसूतिगृह व चिकित्सालय पूरे क्षेत्र में कहीं पर नहीं है। राणावास गाँव में ऐसा चिकित्सालय खोलने की अब योजना बनी है। शिक्षा-सुविधा
पूरे कांठा प्रदेश में शिक्षा सुविधा की सन्तोषजनक स्थिति है। गाँवों में पंचायत समिति द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालय तथा शिक्षा विभाग के उच्च प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय खुले हुए हैं। कन्या पाठशालाएँ भी एक दो स्थानों पर हैं। अधिकतर स्थानों पर सहशिक्षा ही दी जाती है।
शिक्षा सुविधा की दृष्टि से अकेला राणावास पूरे कांठा प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता है। यहां पर प्राथमिक विद्यालय से लेकर डिग्री कालेज तक के शिक्षा संस्थान हैं। सम्पूर्ण कांठा क्षेत्र में एक मात्र डिग्री कालेज राणावास में ही है। यहाँ महिला शिक्षा का माध्यमिक स्कूल भी है। उद्योग-शिक्षा की सुविधा भी उपलब्ध है। अनेक छात्रावास भी बने हुए हैं। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ, राणावास ने शिक्षा के क्षेत्र में कांठा में अभूतपूर्व क्रान्ति की है । विस्तार से इसका परिचय आगे के पृष्ठों में दिया जा रहा है।
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