________________
६०.
૬૨
कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : प्रथम खण्ड
तर उपकारी' । अगर एक ही वृक्ष में पत्ते, पुष्प व फल तीनों होते हैं तो वह वृक्ष उन्नत कहलाता है उसी प्रकार जिस मानव में भी तीन गुण - १. चमक, २. महक एवं ३. सरसता पाये जाते हैं वही संसार को कुछ दे सकता है, भला कर सकता है और अपने स्वार्थ को त्याग सकता
वास्तव में जिनको जीना आ गया, उनको सब कुछ आ गया । वैसे जीते सभी हैं, किन्तु विवेकयुक्त जीवन जीना परमकला है । उनके लिए अन्य कलाएँ गौण हैं ।
सुराणानी वृद्ध होते हुए भी बड़े परिश्रमशील हैं। समय को व्यर्थ नहीं जाने देते, आलस्य तो आपको छू तक नहीं पाया। आपका आत्मविश्वास अडिग है । जिस कार्य को हाथ में लिया उसे सम्पूर्ण करके ही विश्राम लेते हैं । निराशा और अनास्था के भाव आपके जीवन में टिक नहीं पाये । साहस और आधुनिक विचारों की दृष्टि से एक नौजवान जैसे प्रतीत होते हैं, वे युवा हृदयों ज्ञान हैं।
सुराणाजी अपने पथ पर आचार्यप्रवर के आशीर्वाद
Jain Education International
युवा हृदय ज्ञान पुंज
साध्वी श्री जयमाला
है तथा विसर्जन कर सकता है। श्री केसरीमलजी सुराणा इन तीनों गुणों से सम्पन्न हैं, वे आत्मकल्याण में भी लीन हैं, पर कल्याण में भी व्यस्त हैं और इन दोनों के माध्यम से समाज के सम्मुख ऐसा उदाहरण भी रख रहे हैं, जिससे भावी पीढ़ी को प्रेरणा व प्रोत्साहन मिले ।
व्यक्ति
व्यक्ति की नहीं, गुणों की पूजा होती है। चला जाता है, पर उसके गुण संसार में विद्यमान रहते हैं । गुणों से ही व्यक्ति संसार में अमर बन जाता है हर व्यक्ति में कोई न कोई विशेषता होती है। वह जनता के समक्ष किस रूप में विकसित होकर आती है, यह उसकी कार्यदक्षता पर निर्भर करती है ।
से विकास करते हुए बढ़ते चले जा रहे हैं और अपने संजोये हुए सपनों को साकार रूप देते हुए जनता के सामने प्रस्तुत हो रहे हैं। वर्तमान परिस्थितियों में सुराणाजी जैसे कर्मयोगी निस्पृह समाज के सेवक पुरुष अन्यत्र मिलने मुश्किल हैं। सुराणाजी की हर प्रवृत्ति सजगता लिए हुए है। आध्यात्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र में आपने जो कान्ति की है, वह निःसन्देह सराहनीय एवं अनुकरणीय है । इसीलिए यह पद्य सुराणाजी के जीवन के अनुरूप ही है
।
तुम्हारे जीवन का इतिहास, करेगा जन-जन आत्मविकास मिलेगा एक नया आभास, भरेगा हर क्षण में उल्लास ॥
130
गुणवान् पूज्यते
[ मुनि श्री देवेन्द्रकुमार
कुछ मानव अपने स्वार्थ के लिए दौड़ते है, पर जो अपने स्वार्थ को छोड़कर समाज सेवा में तन, मन, धन समर्पित करते हैं, वे व्यक्ति ही संसार में पूजे जाते हैं। जनता के हृदय में स्थान पा सकते हैं। राणावास के निवासी केसरीमलजी सुराणा ऐसी अनेक विशेषताओं के धनी हैं।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org.