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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : षष्ठ खण्ड
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वदन्न मजीठ 'जवान' 'विजेस' । तठे अमि और वियो 'रतनेस' ॥ जई खग वाहत दारण जोस पड़े खग झाटक सिल्लह पोस ॥ कटें सिर सूर जूट घड़ केक । उभे हुय टूक पड़ंत अनेक || पड़े पग हाथ धरा लपटंत किला किर राखस बालकरंत ॥ 'अभै' भुज भार दियो अथाह । सुतौ उजवाल कियो 'रणसाह' ।। भिड़े 'रतनागर' यूं गज भार । वधै असि औरवियो त्रिण वार ॥
४. विजयराज भण्डारी - यह खेतसी भण्डारी का पुत्र था। यह उन ओसवाल मुत्सद्दियों में विशेष स्थान रखता है जिन्होंने जोधपुर राज्य के इतिहास को अपनी सेवाओं द्वारा गौरवान्वित किया। महाराजा अजीतसिंह द्वारा मेड़ते का हाकिम नियुक्त किया गया। दिल्ली के उत्तराधिकार युद्ध में महाराजा की आज्ञानुसार जोधपुर से ससैन्य जाकर विजयराज भण्डारी ने शाहजादे फर्रुखसियर का पक्ष लिया था ।
गुजरात के सूबेदार मरबुलन्द का दमन करने से लिए महाराजा अभयसिंह ने जब प्रयाण किया तो उन्होंने अपनी सेना को तीन भागों में विभाजित किया। एक महाराजा अभयसिंह के अधिकार में और दूसरा राजाधिराज
सिंह के अधिकार में एवं तीसरा भण्डारी विजयराज के अधिकार में था। अहमदाबाद के युद्ध में जो व्यूह रचना की गयी उसके अन्दर पाँच मोर्चों में से एक मोर्चे का भार भण्डारी जीवराज के सुपुर्द किया गया था। इस युद्ध में इसने अपनी बुद्धि और रणकुशलता का अच्छा परिचय दिया ।
अद्भुत वीरता व पराक्रम दिखाने वाले जैन योद्धाओं चौथ वसूल करने के सम्बन्ध में बाजीराव से बातचीत
५. गिरधरदास भण्डारी - अहमदाबाद के युद्ध में अपनी में गिरधरदास भण्डारी का नाम भी महत्त्वपूर्ण है। गुजरात की करने के लिए महाराजा अभयसिंह ने अपने दो प्रतिनिधियों को भेजा उसमें एक गिरधरदास भण्डारी था। इससे यह ज्ञात होता है कि वह बाहुबल का धनी होने के साथ-साथ बुद्धिमान राजनीतिज्ञ भी था । कविराजा करणीदान ने सूरजप्रकास में मोतीदान छन्द में गिरधरदास भण्डारी का वर्णन निम्नांकित रूप से किया है
दलां खल झोकि तुरी हुजदार । भंडारिय जूटत जै गज भार ॥ सकौ सिरपोस 'गिरद्धर' सूर पटोधर 'ऊद' तणौ छक पूर ॥
हाँ भिड़ि मूंछ चखां विकराल । काले असि औरवियो कलिचाल ॥ दिय खग झाट गिरवरदास । बिढे असवार सहेत ब्रहास ॥ सिल बंध पाखर बंध संधार । भेला हिज गंज चढे धर भार ॥ बहै खल गाहटतौ जुध बाज | करें खग घाव अरोह सकाज ॥ उडै असि ऊपर लोह अपार । वढे असि भोम चढे णिवार ॥ किलम्मक एक जठै कलिचाल । वुही खग टोप कटे विकराल || वही झल ऊपर वीजल वेगि त ' गिरधार' वही धण तेगि || उभे हुए टूक पई अनुरोण पई असि सांम विये चहवांग || बिया असि ऊपरी गज्जर बूर । सझै खग झाट क्लोवल सूर ॥ वह खग झाट भंडारिय 'बाँध' । उडै खल थाट संवाट अथाघ । दुज असि जाम कटेस उदार । तिजै असि सूर चढै तिण वार ॥ लड़ें 'गिरधारिय' अंबर लागि । उड़े खल थाट सिरै खग आगि ||
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६. सिंघवी जोधमल अभयसिंह की ओर से लड़े थे
और मेहता गोकुलदास
दोनों जैन बोद्धा भी अहमदाबाद के युद्ध में महाराजा
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