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जन जाति और उसके गोत्र
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............................................................ ....... . उद्धार कराने वाला कर्माशाह दोशी था जो देश के कपड़े के बड़े व्यापारियों में था। उसके यहाँ चीन से रेशमी वस्त्र जहाजों द्वारा जाता था। वह महाराणा का दीवान भी था किन्तु शिलालेखों में उसे दोशी लिखा गया है।
बोथरा—यह बो हित्थ से बना है जिसका संस्कृत भाषा में अर्थ जहाज होता है। मेवाड़! में बोथरा को बोहित्थरा कहा जाता है । यह शब्द भी प्राचीन काल से चला आ रहा है।
__ रांका-पाणिनि काल में पंजाब और हिमालय प्रदेश में रंकु नाम की प्रसिद्ध बकरियाँ थीं, जो उनको बेचने आता और जो लेता, अर्थात् जो उनका व्यापार करते वे रांका कहलाते थे। रांका और बांका नाम के दो भाइयों की कथा गढ़कर उनके वंशजों को भी रांका मान लिया गया है।
विस्तार के भय से उपर्युक्त कुछ ही उदाहरण दिये गये हैं। वैसे बहुत सामग्री उपलब्ध है जिससे यह सिद्ध किया जा सकता है कि वर्तमान में जैन जाति पूर्ण रूप से क्षत्रिय है और स्थान, पद और व्यवसाय के नाम से पुकारे जाने के पर भी यह पता लगाना असम्भव नहीं हैं।
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