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मण्यवाधिकारस्ते मा
कारस्ते मा फलेषु कदाचन
लाहिवासे वि सुव्वया'
प्रति एगेहि भिक्खुहिं गारत्था संजमुत
कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराग
जे कम्मे सुराते धम्मे सूराः
भिनन्दन
ग्रन्थ
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