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श्री मँवरलाल नाहटा : एक विहंगम दृष्टि
जन्म
: सं० १९६८ आश्विन कृष्ण १२
सन् १९११. २ अक्टूबर
कोचरों का मोहल्ला, बीकानेर पिता का नाम : श्री भैरुदानजी नाहटा माता का नाम : श्रीमती तीजाबाई गोत्र
: नाहटा ( ओसवाल) अध्ययन : जैन पाठशाला, बीकानेर से ५वीं कक्षा में उत्तीर्ण विवाह : सं० १९८३ आषाढ वदी १२ धर्मपत्नी : श्रीमती जतनदेवी (सुपुत्री : स्व० रावतमलजी सुराणा)
: पितामह के ज्येष्ठ भ्राता स्व० लक्ष्मीचन्दजी नाहटा के, सं० १९८९ अभ्यास :: संस्कृत, प्राकृत, राजस्थानी, हिन्दी, बंगला, गुजराती. प्राचीन लिपि, भाषा विज्ञान, इतिहास, ब्राह्मो,
अपभ्रंश, अवहट्टी. कला. पुरातत्व संग्रह : लगभग ९० हजार हस्तलिखित ग्रन्थ, ७५ हजार मुद्रित पुस्तकें, पुराने सिक्के, मूर्तियाँ, चित्र, हथियार
आदि अनेक दुर्लभ सामग्री सद्गुरु : श्री सुखसागरजी महाराज. श्री कृपाचन्द्र सूरिजी महाराज, श्री सहजानन्दघनजी महाराज.
माताजी धनदेवी जी पहली रचना : सती मृगावती सं० १९८७ प्रेरणा स्रोत : श्री सुखसागरजी, श्री कृपाचन्द्र सूरिजी व श्री पूरनचन्दजी नाहर अध्यक्ष एवं दृष्टी : श्री जैन श्वेताम्बर पंचायती मन्दिर, कलकत्ता उपाध्यक्ष एवं दृष्टी : श्री जैन भवन, कलकत्ता भतपर्व अध्यक्ष : श्री जैन श्वेताम्बर सेवा समिति, कलकत्ता, वर्तमान में कार्यकारिणी सदस्य दृष्टी : श्री जैन भवन, पालीताना संग्राहक व टुष्टी : श्री अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर
: श्री शंकरदान नाहटा कला भवन, बीकानेर कोषाध्यक्ष : श्री जिनदत्त सूरै सेवा संघ, मू० पू० मंत्री सदस्य : श्री अखिल भारतीय खरतरगच्छ महासंघ, दिल्ली मत पर्व मंत्री : राजस्थानी साहित्य परिषद, श्री जैन श्वे० उपाश्रय कमिटि, श्रीमद देवचन्द्र ग्रन्थमाला
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