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सह श्री वासुपूज्यादि पन्द्रह प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की और उनको मंदिर में स्थापित किया तथा इसी मुहूर्त में पंचायती गृह चैत्य में श्री पार्श्वनाथादि प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा की। (१५) पिपलोदा
पिपलोदा (म. प्र.) में वि. सं. १९५४ वैशाख शुक्ला ७ के दिन श्रीमद् ने महोत्सवपूर्वक श्री सुविधिनाथजी की प्रतिष्ठा की और शिखर पर दण्डध्वज चढ़वाए । (१६) राजगढ़
राजगढ़ (जिला धार) में वि. सं. १९५४ के मार्गशीर्ष शुक्ला १० को श्रीमद् ने श्री शांतिनाथ चैत्य की प्रतिष्ठा की। (१७) आहोर
आहोर (राजस्थान) में श्री गोडी पार्श्वनाथ मंदिर की पांच देवकूलिकाओं के लिए तथा समय समय पर इतर ग्राम-नगरों को अर्पण करने के लिए श्रीमद् ने ९५१ जिन प्रतिमाओं की महान महोत्सवपूर्वक वि. सं. १९५५ के फाल्गुन कृष्णा ५ गुरुवार को प्राण प्रतिष्ठा की तथा श्री गोडी पार्श्वनाथ जिनालय की वावन देवकूलिकाओं की प्रतिमाओं को स्थापित किया और शिखरों पर दण्डध्वज समारोपित किए। इस प्रतिष्ठोत्सव में मरुधर, मालवा, मेवाड़ तथा गुजरात के पैतीस हजार स्त्री पुरुष सम्मिलित हुए थे। मरुधर के १५० वर्षों के इतिहास में यह प्रतिष्ठोत्सव अपने ढंग का सर्वप्रथम था। (१८) सियाणा
सियाणा (राजस्थान) में परमाहत् कुमारपाल के बनवाए हए श्री सुविधिनाथ मंदिर में स्थापनार्थ तथा सियाणा के श्री संघ की बनवाई हुई देवकुलिकाओं में विराजमान करने के लिए वि. सं. १९५८ के माघ शुक्ला १३ गुरुवार को श्रीमद् ने भारी महोत्सव पूर्वक श्री अजितनाथ आदि २०१ जिन प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की तथा उनको मंदिर में स्थापित किया और शिखरो पर दण्डध्वज आरोपित करवाए । (१९) आहोर
आहोर (राजस्थान) में धर्मशाला के ऊपर बनी हुई आरसोपलकी छत्री में श्रीमद् ने धातुमय श्री शांतिनाथ आदि प्रतिमा को शुभ मुहूर्त में प्रतिष्ठित किया और इसी धर्मशाला के व्याख्यानालय में कडोद (मालवा) निवासी शा खेताजी वरदाजी के सुपुत्र श्री उदयचन्द्रजी के द्वारा बनवाए हए श्री राजेन्द्र जैनागम वहदज्ञान भण्डार की संवत् १९५९ के माघ कृष्णा १ बुधवार के दिन प्रतिष्ठा की (२०) कोरटाजी
प्राचीन तीर्थ श्री कोरटाजी (मारवाड़) में श्री आदिनाथ आदि प्राचीन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा की तथा समय समय पर
अन्य ग्राम नगरों के चैत्यों के लिए अर्पणार्थ वि. सं. १९५९ के वैशाख शुक्ला १५ गुरुवार को दसदिनावधिक महामहोत्सव पूर्वक २०१ जिन प्रतिमाओं को प्राण प्रतिष्ठा की तथा मंदिरों के शिखरों पर दण्डध्वज समारोपित करवाए। (२१) गुडाबालोतरा
गुडाबालोतरा (मारवाड़) में पोरवाड़ अचलाजी दोलाजी के बनवाए हुए जिनालय में श्रीमद् ने वि. सं. १९५९ के माघ शुक्ला ५ के दिन महोत्सव सहित श्री धर्मनाथजी आदि जिनबिम्बों की प्रतिष्ठा की और शिखर पर दण्डध्वज आरोपित करवाए।। (२२) बाग
बाग (मालवा) में वि. सं. १९६१ मार्गशीर्ष शुक्ला ५ के दिन श्रीमद् श्री विमलनाथ स्वामी आदि ७ प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की और उनको मंदिर में स्थापित किया तथा शिखर पर दण्डध्वज समारोपित करवाए। (२३) राजगढ़
राजगढ़ (मालवा) में खजाची दौलतरामजी चुन्नीलालजी पोरवाड़ के बनवाए हुए अष्टापदावतार चैत्य की वि. सं. १९६१ के माघशुक्ला ५ गुरुवार के दिन दस दिनावधिक महोत्सवपूर्वक श्री ऋषभदेवादि ५१ जिन प्रतिमाओं के साथ श्रीमद् ने प्राण प्रतिष्ठा की तथा मंदिर में प्रतिमाओं को स्थापित किया और शिखर पर दण्डध्वज स्थापित करवाए। (२४) राणापुर
राणापुर (मालवा) में श्री संघ के बनवाए हुए जिन मंदिर में वि. सं. १९६१ में फाल्गुन शुक्ला ३ गुरुवार के दिन सोत्सव श्री धर्मनाथादि जिनेश्वरों की ग्यारह प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा करके उनको विराजमान किया और शिखर पर दण्डध्वज चढ़वाए। (२५) सरसी
सरसी (मालवा) में सशिखर चैत्य में वि. सं. १९६२ के ज्येष्ठ शुक्ला ४ के दिन चन्द्रप्रभु आदि जिन बिम्बों की प्रतिष्ठा की और शिखर पर ध्वजदण्ड संस्थापित करवाए। (२६) राजगढ़
राजगढ़ (मालवा) में दौलतराम हीराचन्द के बनवाए हुए गुरू मंदिर में श्रीमद् ने वि. सं. १९६२ मार्गशीर्ष शुक्ला २ के दिन थी गोतमस्वामी आदि की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा की। (२७) जावरा
जावरा (मालवा) में शा. लक्ष्मीचन्दजी लोढा के बनवाए हुए चैत्य में स्थापनार्थ वि.सं. १९६२ पौष शुक्ला ७ के दिन अष्टाह्निका महोत्सवपूर्वक श्रीमद् ने श्री शीतलनाथ आदि प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा करवाई।
वी.नि.सं. २५०३/ख-२
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