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________________ (३) श्री कांतिलालजी बाबूलालजी मंत्री (४) " प्रकाशचन्द्र चौधरी कोषाध्यक्ष (५) " मनोहरलाल जैन एडवोकेट प्रचार मंत्री केन्द्रीय प्रतिनिधि (१) श्री प्रकाशचन्द्र चौधरी (२) " मनोहरलाल जैन एडवोकेट यहाँ समाज के ७९ कुटुम्ब हैं और सभी त्रिस्तुतिक मान्यता के अनुयायी हैं। यहाँ वर्धमान जैन बालविद्यामंदिर था। श्री राजेन्द्र जैन विद्या मंदिर का संचालन किया जा रहा है जिसमें अनेक छात्रा-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। महिलाओं में भी काफी उत्साह है। महिला परिषद् की स्थापना शीघ्र ही की जा रही है। झाबुआ बारह हजार की आबादी वाले जिला केन्द्र झाबुआ में श्वेताम्बर समाज द्वारा निर्मित एवं गुरुदेव राजेन्द्र सूरिजी द्वारा प्रतिष्ठित बावन जिनालय में मूलनायक प्रभु प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की शोभा निराली है। एक दिगम्बर जिनालय एवं दो स्थानक भी विद्यमान हैं। श्वेताम्बर समाज में प्रतिदिन प्रभुपूजन करने वालों की संख्या ६० से ज्यादा है। एक भव्य पौषधशाखा निर्मित है, साथ ही उसमें वृद्धि हेतु कुछ नब निर्माण भी चल रहा है। गत कुछ वर्षों से आयम्बिल खाता भी निरन्तर चल रहा है। पूज्य मुनिराज श्री जयन्तविजयजी 'मधुकर' के सान्निध्य में झाबुआ श्वेताम्बर जैन समाज की एक विचार गोष्ठी दिनांक २९ दिसम्बर १९७५ की रात्रि को ८ बजे आयोजित की गई। गोष्ठी में समाज का पूर्व बिम्ब रखा गया, फलस्वरूप श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् का पुनर्गठन किया गया। कुल अड़तीस सदस्यों में से पदाधिकारियों का निविरोध चयन किया गया। परिषद् को एवं पदाधिकारियों को मुनिराज श्री ने आशीर्वाद प्रदान किया। परिषद् के शिक्षा प्रचार के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए जैन आध्यात्मिक पाठशाला का शुभारम्भ हो । प्रतिदिन पचास से अधिक बालक बालिकाएं अध्ययन करते रहे। पाठशाला के माध्यम से समाज के बच्चों का नैतिक एवं आध्यात्मिक स्तर काफी सुधरा। तत्वज्ञान एवं सूत्रों का पठन पाठन कार लाभान्वित होते रहे । अर्थ, अध्यापक, स्थल इत्यादि की कठिनाइयों के बावजूद भी पाठशाला चलती रही। निकट भविष्य में एक आदर्श एवं पूर्ण अनुशासित पाठशाला की स्थायो व्यवस्था की जा रही पर्धषण आराधना, तीर्थकरों के कल्याण, महावीर जयंती निर्वाण उत्सव आदि कार्यक्रमों में परिषद् के युवक, तथा समाज का उल्लेखनीय योगदान रहता है। परिषद् समाज में एकाकार हो चुकी है और महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में परिषद का प्रतिनिधि रहता है। यहां समाज में परिषद् सहायता निधि मंजूषा का विस्तार तीव्र गति से हो रहा है और अधिकांश परिवारों में स्थापित हो चुकी है। इससे ऐसा लगता है कि परिषद् समाज का कायाकल्प करने में कटिबद्ध है। - .. कुक्षी में दो गुरु मंदिर हैं। कुक्षी से ३ मील दूर लक्ष्मणी मार्ग पश्चिम में तालणपुर नामक एक तीर्थ स्थान है यहाँ की व्यवस्था श्री पार्श्वनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढी, जिसकी स्थापना मनिराज, श्री जयन्तविजयजी की प्रेरणा से हुई जो कुक्षी के अन्तर्गत है। तालनपुर एक दर्शनीय स्थान है और प्रकृति की गोद में यह तीर्थ स्थान प्रसिद्ध है। बाग परिषद के माध्यम से जैन बचत योजना का शुभारम्भ परिषद के केन्द्रीय महामंत्री श्री सी.वी. भगत के करकमलों द्वारा हुआ। समाज के मध्यम वर्ग के उत्थान का उद्देश्य दृष्टि में रखते हुए यह योजना लागू की गई है। भविष्य में इस योजना को द्रुतगति से दृढ़ बनाने का कार्य परिषद् करने हेतु दृढ़संकल्प बौद्धकालीन गुफाओं के लिये बाग प्रसिद्ध स्थल है जहाँ अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् की शाखा स्थापित है जिसमें निम्न मुख्य पदाधिकारी हैं(१) श्री अशोककुमारजी जैन अध्यक्ष (२)" अमृतलालजी जैन | मंत्री परिषद् की गतिविधियों में मुख्य रूप से विद्यालय का संचालन है। यहाँ पर स्थान-स्थान पर परिषद् सहायता निधि मंजूषाएँ स्थापित की जा रही हैं। उत्साही कार्यकर्तागण परिषद् के प्रत्येक कार्यक्रम में पूर्ण रूप से भाग लेते हैं। समाज का अच्छा सहयोग रहता है और परिषद् की ओर से विभिन्न धार्मिक पर्व भी आयोजित किये जाते हैं। पुस्तकालय एवं वाचनालय संचालन होता था। दस न. प. समाज हेतु प्रतिदिन त्याग करने की योजना के अन्तर्गत सोलह परिवारों ने डिब्बे स्थापित किये जिसकी राशि निरन्तर प्राप्त होती रही है। परिषद् शेष परिवारों से इस योजना से अर्थसंग्रह करने के लिये प्रयत्नशील है। . श्री महावीर जैन वाचनालय एवं श्री दिनेश संगीतशाला का शुभारम्भ किया गया था, किन्तु योग्य संचालक एवं संगीत आचार्य के अभाव में दोनों योजना निरंतर नहीं कर सके । वाचनालय संचालन हेतु केन्द्रीय परिषद् ने कुछ आर्थिक सहायता देना स्वीकृत किया है, पौषधशाला नवनिर्माण के पश्चात् तुरन्त ही वाचनालय एवं पुस्तकालय प्रारम्भ किये जायेंगे। राजेन्द्र-ज्योति Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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