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________________ उज्जैन ऐतिहासिक तथा पौराणिक नगर उज्जैन में अ. भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् शाखा स्थापित है। श्री माणकलालजी गिरिया इस शाखा के अध्यक्ष हैं और इनके 'नेतृत्व में उज्जैन शाखा कार्यरत है। यहां पर धार्मिक विद्यालय का संचालन किया गया था जिसमें अनेक छात्र-छात्राएं अध्ययन -करते थे और समय समय पर उनकी परीक्षा ली जाती थी और श्रेष्ठ छात्रों को पुरस्कृत किया जाता था। कुछ समय से अभी बन्द है जो शीघ्र शुरू किया जायगा । श्री राजेन्द्र जैन महिला परिषद नागदा रतलाम - उज्जैन मार्ग के मध्य नागदा स्थित है। यह एक औद्योगिक नगर के रूप में विस्तार पा रहा है। एक समय ऐसा होगा जब इसकी म.प्र. के महत्वपूर्ण नगरों में गणना होगी । नागदा नगर में युवक परिषद स्थापित है। इसी उत्साह की शृंखला में श्री राजेन्द्र जैन महिला परिषद में महिलाएँ युवकों से किसी प्रकार कम नहीं हैं। यहां संगीत के विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं यहाँ केन्द्रीय परिषद के पदाधि कारियों के प्रवास हुए हैं। श्रीमती कोकिला भारतीय उपमंत्री केन्द्रीय परिषद के प्रयत्न का फल है कि महिला परिषद अत्यन्त गतिशील है । महिला परिषद के निर्वाचन पदाधिकारी निम्नांकित हैं: (१) श्रीमती दाखाबाई कोलड़ (२) सोहनबाई जैन (३) भानुमती शाह (४) चमेलीबाई (4) अलका भारतीय (६) निर्मला बोहरा "} "" 13 33 ५६ 33 महिलाएं एक सिलाई शिक्षण केन्द्र तथा गृहउद्योग स्थापित करने के लिये प्रयत्नशील हैं। संभवतः आगामी दो-तीन माह मैं यह कार्य पूर्ण हो जायेगा। धार धार नगरी राजा भोज की राजधानी रही है। जहाँ पर परिषद् शाखा स्थापित है। यह भी मोहनखेड़ा तीर्थ का तोरण द्वार है । शाखा के पदाधिकारी इस प्रकार हैं: (१) श्री गेंदालाल बाफना (२) कैलाशचन्द्रजी हरण केन्द्रीय प्रतिनिधि (१) श्री मांगीलालजी छाजेड़ (२) प्रकाशचन्द्रजी बाफना (३) पी.सी. जैन हिम्मतलाल जैन (४) 33 अध्यक्ष उपाध्यक्ष मंत्री कोषाध्यक्ष प्रचार मंत्री " Jain Education International अध्यक्ष मंत्री परिषद शाखा की विभिन्न गतिविधियाँ चल रही हैं उनमें विद्यालय, बाल परिषद् मुख्य हैं। छात्रावास, निर्माण हेतु परिषद् ने भूमि क्रय कर ली है और शीघ्र ही भवन का निर्माण कार्य आरम्भ हो जावेगा । प्रति रविवार को गुरुदेव की आरती उतारी जाती है और यहाँ पर धार, झाबुआ जिला परिषद का अधिवशन हुआ जिसमें काफी सदस्य उपस्थित हुए थे। केन्द्रीय पदाधि कारियो के समय-समय पर दौरे होते रहते हैं। सभी सदस्यों का उत्साह अच्छा है । राजगढ़ (जिला धार ) अमर शहीद वीर क्रान्तिकारी महाराणा श्री बखतावरसिंहजी के राज्य का प्रमुख नगर राजगढ़ जैसा कि इसके नाम से ही विशिष्टता लगती है। अपने आप में गौरवमय इतिहास समेटे हुए है। विक्रम संवत् २०१५ का १५ को नगर से जुड़े श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में पं. पूज्य गुरुदेव श्रीमद्विजय यतीन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के आशीर्वाद के साथ समाज के चहुंमुखी विकास के लिये श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद की स्थापना की गई। प. पू. गुरुदेव द्वारा अपने वचनामृत से परिषद् की प्राण प्रतिष्ठा की गई और इसी नगरी ने परिषद् का प्रथम अधिवेशन कराने एवं प्रथम महामंत्री श्री राजमलजी सर्राफ को देने का सौभाग्य प्राप्त किया । वर्तमान में परिषद् की सदस्य संख्या ३८ है । अखिल भारतीय योजनानुसार यहां ४० के लगभग निधि पेटिकाएं लगी है। परिषद् के कोषाध्यक्ष श्री केसरीमलजी तांतेड़, श्री अमृतलालजी मोदी एवं पूनमचंदजी दौलतरामजी आदि परिषद् के कार्यकर्त्ताओं की देखरेख में एक अखण्ड ज्योत गुरुदेव श्री राजेन्द्र सूरीश्वर जी की समाधि (स्वर्गवास स्थल) पर प्रज्वलित है, जिसका प्रज्वलन परिषद् कार्यकर्ता श्री सुगनचन्दजी शोभागमल जी ने अपने धन का सदुपयोग करते हुए किया था। परिषद् के अ.भा. महामंत्री श्री श्रीश्री भगत ने परिषद् कोष में से ५०० रुपये अखण्ड ज्योत में प्रदान किये। माह की प्रत्येक १ व १६ तारीख को सामूहिक गुरुवन्दन एवं आरती इस स्थल पर उतारी जाती है । परिषद् द्वारा समाज के आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग को समय समय पर सहायता प्रदान की जाती है। जिसमें सिलाई मशीन आदि प्रमुख है। समाज एवं स्वधर्मी बंधुओं के सहयोग के लिये परिषद् कार्यकर्ता सदैव तत्पर रहते हैं साथ ही गुरु सप्तमी, महावीर जयंती कार्तिक पूर्णिमा एवं चैत्री पूर्णिमा आदि अवसरों पर परिषद के कार्यकर्ता नगर एवं मोहनखेड़ा में व्यवस्था आदि के लिये सक्रिय सहयोग देते हैं। भविष्य की योजनाओं के अन्तर्गत परिषद के माध्यम से समाज के कमजोर वर्ग की आर्थिक सहायता हेतु बैंक खोलने का प्रस्ताव विचाराधीन है। सिलाई केन्द्र महिला एवं विद्यार्थी सहायता कक्ष खोलने के विषय में परिषद् गंभीरता पूर्वक विचार कर रही है। For Private & Personal Use Only राजेन्द्र- ज्योति www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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