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खाचरौद
है । इसका पुनर्गठन २३ नवम्बर १९७६ को ससमारोह सम्पन्न हुआ। नवगठित परिषद् ने वाचनालय तथा पाठशाला प्रारम्भ कर दिये हैं। पाठशाला के अन्तर्गत औसतन तीस छात्र-छात्राएं धर्माध्ययन कर रहे हैं। वैसे बड़नगर में धार्मिक पाठशाला एवं वाचनालय सन् १९४० से स्थापित हैं किन्तु बन्द हो चुके हैं । पुस्तकालय में आठ सौ पुस्तकें हैं। जिनमें से अधिकांश गुजराती, प्राकृत एवं संस्कृत भाषाओं में हैं। पाठशाला को गतिशील रखने के लिये छात्रों को पुरस्कारों के माध्यम से प्रेरित रखा जाता है । शाखा पाठशाला के संचालन में केन्द्रीय परिषद् की ओर से प्रति माह रु. ७५) मिलते हैं। शाखा ने परिषद सहायता निधि की पेटियां स्थापित कर रखी हैं।
शाखा द्वारा साहित्यिक व सांस्कृतिक अभिरुचि विकसित करने के लिये बच्चों के खेलकूद तथा नवयुवकों हेतु काव्य-गोष्ठी एवं धार्मिक विचार-चर्चा आयोजित किये जाते हैं। गुरु सप्तमी पर परिषद् शाखा के माध्यम से यात्रार्थ मोटर गई। परिषद की शाखा ने संगीतशाला का संचालन भी किया व उसे निरंतर रखने का प्रयत्न जारी है । समाज में व्याप्त असंतोष के कारण मंदिर पर ध्वजादण्ड चढ़ाने का कार्य अवरुद्ध है। परिषद हल करने हेतु प्रयत्नशील है। धर्मशाला एवं पूज्य प्रभु श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वर महाराज की सुशिष्या पूज्य गुरुणी श्री प्रेम श्री जी महाराज की छत्री पर आवश्यक निर्माण करवाने का उद्देश्य है ताकि छत्री का सौन्दर्य विकसित हो सके। संगीतशाला के लिये वाद्ययंत्र क्रय करने तथा सिलाई स्कूल खोलने हेतु भी शाखा परिषद योजनारत
अ. भा.श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् के इतिहास में खाचरौद का नाम अविस्मरणीय रहेगा। यहां पर परिषद् का तृतीय अधिवेशन सम्पन्न हुआ था। उसी स्थल पर परिषद् श्री विमलकुमार चौधरी की अध्यक्षता में कार्यरत है। श्री बाबूलालजी भारतीय इस संस्था के मंत्री हैं। गतिविधियों का स्तर चढ़ाव उतार की ओर परिलक्षित है। संभावनाएं तो अनेक हैं किन्तु भावनाएं अभी बनना शेष हैं । खाचरौद की डॉ. श्रीमती कोकिला भारतीय एम. ए., पी. एच. डी. अ. भा. सह महामंत्री है। यहां समाज की ओर से धार्मिक पाठशाला चल रही है। खाचरौद महिला परिषद्
ईस्वी सन् १९७४ में श्रीमती कोकिला भारतीय के मार्गदर्शन में खाचरौद महिला परिषद् की स्थापना के साथ ही निरंतर पूजा, भक्ति एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का क्रम प्रारम्भ हुआ। पर्याप्त कोष के अभाव के बावजूद परिषद ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक आयोजन किया। अ. भा. श्री राजेन्द्रजैन नवयुवक परिषद के महामंत्री श्री सी. बी. भगत के आगमन के समय महिला परिषद् ने एक जुट होकर स्वागत किया तथा प्रथम बार सामूहिक स्वल्पाहार का आयोजन किया गया। महिला परिषद् अतिशीघ्र संगीतशाला स्थापित करना चाहती है। इस हेतु केन्द्र से पांच सौ रुपये का अनुदान प्राप्प हो चुका है।
वर्तमान में महिला परिषद् के पदाधिकारियों में अध्यक्ष--श्रीमती चन्द्रकन्ताबाई हींगड़, कोषाध्यक्ष-श्रीमती चन्द्रकान्ताबाई वागरेचा, प्रचार मंत्री श्रीमती राजुलबाई बजवासवाला, मंत्री श्रीमती प्रकाश बाई खमेसरा तथा केन्द्रीय प्रतिनिधि श्रीमती कोकिला भारतीय, श्रीमती चन्द्रकान्ताबाई हीगड़ व श्रीमती चन्द्रकान्ताबाई वागरेचा कार्यरत हैं । बालिका परिषद् का संचालन भी महिला परिषद् के अन्तर्गत हो रहा है। जिसके पदाधिकारी इस प्रकार हैं:कु. प्रतिभा हींगड़ (अध्यक्ष), कु. चन्द्रकान्ता मेहता (मंत्री), कु. सरिता कांकरिया (कोषाध्यक्ष) तथा सुभद्रा वागरेचा व आशा सुराना (प्रचार मंत्री)।
बड़ावदा
बड़नगर वह स्थान है जहां पूज्य' प्रभु श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का अन्तिम चातुर्मास हुआ था। त्रिस्तुतिक समाज का भारतीय सम्मेलन भी इस नगर में हो चुका है । गत पयूषण पर्व में ही शाखा परिषद ने पूज्य श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का एक बड़ा फोटो बनवाकर पौषधशाला में स्थापित किया। इस उपलक्ष में परिषद ने गुरुदेव की पूजा का आयोजन तथा लड्डू की प्रभावना वितरित की गई। महावीर जयन्ती, गुरु सप्तमी आदि पर्व आयोजित किये जाते हैं।
वर्तमान में शाखा परिषद् में पदाधिकारी श्री कन्हैयालालजी चौपड़ा (अध्यक्ष), श्री सुरेन्द्रजी जैन व श्री छगनलालजी खाबिया उपाध्यक्ष), श्री सोहनलालजी चौपड़ा (कोषाध्यक्ष), श्री हंसमुखलालजी चौरड़िया (साहित्य एवं सांस्कृतिक मंत्री), श्री लालचन्द जी सर्राफ (पर्यटन मंत्री), श्री नरेन्द्रजी जैन (निर्माण व विकास मंत्री), श्री प्रकाशचन्द्र चौपड़ा (संगीत मंत्री), तथा श्री प्रकाशचंदजी मोदी (प्रचार मंत्री) ) हैं । केन्द्रीय प्रतिनिधि के रूप में श्री कन्हैया लाल चौपड़ा, श्री सुरेन्द्रजी जैन, श्री पुखराजजी कावड़िया श्री राजकुमारजी गोखरू तथा श्री सोहनलालजी चौपड़ा नियोजित किये गये हैं।
जब से शाखा परिषद् का पुनर्गठन हुआ है, तेजी से विकास के कदम बढ़ते जा रहे हैं।
रतलाम (म.प्र) जिले के ग्राम बड़ावदा में परिषद् की शाखा १९ फरवरी १९७६ को पूज्य मुनिराज श्री जयन्तविजयजी महाराज की प्रेरणा से अस्तित्व में आई। इस अवसर पर श्री मदनलालजी कर्नावट, जावरा ने परिषद् के उद्देश्यों एवं कार्य प्रणाली पर प्रकाश डाला । स्थापना के बाद स्थानीय शाखा ने कई कार्य किये।
स्थानीय समाज के बालक बालिकाओं के लिए धार्मिक पाठशाला की स्थापना की गई। इस पाठ शाला में ३३ बालक-बालिकाएं धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। पाठशाला की वित्त व्यवस्था स्थानीय समाज द्वारा दिये जाने वाले दान एवं केन्द्रीय कार्यालय से
राजेन्द्र-ज्योति
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