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केन्द्रीय परिषद द्वारा विद्यालय संचालन हेतु ५० रु. प्रति ३ माह अनुदान दिया जाता है। यहाँ २५ कुटुम्ब त्रिस्तुतिक मान्यता के हैं। महिला परिषद तथा बाल परिषद भी स्थापित
मन्दसोर प्रगतिशील शाखाओं में मंदसौर (म.प्र.) की परिषद शाखा का भी सम्मानपूर्ण रूप से उल्लेख किया जाता है। ३० अगस्त १९५८ को श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक सभा के रूप में युवाओं का एक सशक्त मंच तैयार हुआ। अखिल भारतीय प्रयत्नों के फलतः परम पूज्य मुनिराज श्री जयन्त विजयजी महाराज'मध कर' की। प्रेरणा से इसका विलय श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद में किया गया। सभा के प्रथम अध्यक्ष श्रीमदनलालजी मेहता थे। परिषद द्वारा आयोजित किये गये विराट् स्मारकों तथा सामाजिक कार्यों में दिखाई गई कर्मठता के फलस्वरूप इसको छबि निखरती गई। १९६० में शाखा परिषद् ने हस्तलिखित पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया जो १९७४ तक चलता रहा। किसी भी हस्तलिखित पत्रिका ने इतना दीर्घ जीवन प्राप्त नहीं किया। शाखा परिषद ने ही सर्व प्रथम परिषद शाखाओं के मंत्रियों का सम्मेलन आयोजित किया जिसे पूज्य मुनिराज श्री जयंतविजय जी महाराज ने मार्गदर्शन दिया। परिषद द्वारा समाज कल्याण के कई कार्य किये गये जो इस प्रकार हैं:--
(१) परिषद द्वारा १९६६ में जैन विद्यालय प्रारम्भ किया गया जो आज शिक्षा महाविद्यालय से बाल मंदिर तक विस्तृत है। वर्तमान में छात्र संख्या एक हजार है।
(२) तीर्थंकर श्री महावीर देव के २५००वें निर्वाण वर्ष की स्मृति में नगर के मुख्य गांधी चौराहे पर एक सार्वजनिक महावीर प्याऊ का निर्माण किया गया जिस पर लगभग पांच हजार रुपये व्यय आया। इस हेतु केन्द्रीय परिषद ने एक हजार एक रुपया तथा महामंत्री श्री सो.बो. भगत ने एक हजार एक रुपया प्रदान किया।
(६) परिषद शाखा द्वारा श्री राजेन्द्र बचत योजना भी प्रारम्भ की गई जिसका संचालन अब जैन शिक्षण प्रसार समिति द्वारा किया जा रहा है।
इनके अतिरिक्त परिषद शाखा द्वारा गुरु सप्तमी का आयोजन किया जाता है। समय-समय पर विचार गोष्ठियां तथा भाषणमालाएं आयोजित की जाती रही हैं। तीन वर्षों तक शाखा परिषद को सर्वोच्चता का प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
भविष्य की योजनाओं में परिषद शाखा श्री वर्धमान जैन औषधालय को समुन्नत व समृद्ध अस्पताल में परिणित करना चाहती है, राजेन्द्र जैन बैंक, सर्वधर्म उपकरण विक्रय केन्द्र, श्री राजेन्द्र विद्या निकेतन की स्थापना करने के संकल्प लिये हैं। शाखा परिषद ने नगर के बाहर भूमि भी क्रय कर ली है। श्री राजेन्द्र सूरि समाधि मंदिर का आधुनिक शैली पर निर्माण किये जाने की भावना है।
परिषद शाखा में निम्नांकित पदाधिकारी कार्यरत हैं::श्री शान्तिलालजी चपरोत (अध्यक्ष), श्री दलपतसिंहजी बाफना (उपाध्यक्ष), श्री मदनलालजी मेहता (सचिव), श्री पारसमल जी डोसी-(उपसचिव), श्री पारसमलजी लोढ़ा (कोषाध्यक्ष), श्री राजमलजी डांगी (साहित्य मंत्री) तथा श्री शान्तिलालजी कोठारी (प्रचार मंत्री) केन्द्रीय प्रतिनिधि श्री सुरेन्द्रकुमारजी लोढ़ा तथा श्री बहादुरमलजी करनावट हैं। श्री राजमलजी लोढ़ा अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद के केन्द्रीय शिक्षा मंत्री पद पर हैं।
कचनारा जिला मन्दसौर (मध्यप्रदेश) के ग्राम कचनारा में अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयवक परिषद की शाखा धार्मिक पाठशाला का संचालन कर रही है। इसका उद्देश्य' बालकों को सुसंस्कारित तथा सुसंस्कृत बनाना है। उपाश्रय व जिनालय का जीर्णोद्धार हो रहा है। इनकी व्यवस्था परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा ही की जाती है। शाखा परिषद के पदाधिकारियों के नाम इस प्रकार हैं
अध्यक्ष-श्री नानालालजी सुराणा, उपाध्यक्ष-श्री कन्हैयालालजी ओस्तवाल, संयोजक-श्री रतनलालजी मेहता, सचिवडा. ललितकुमारजी कर्नावट, कोषाध्यक्ष व केन्द्रीय प्रतिनिधिश्रीमदनलालजी सुराणा, विशेष प्रतिनिधि-श्री हस्ती सी. कर्नावट, प्रचार मंत्री-श्री राजेन्द्रकुमार सुराणा, सह सचिव श्री पारसमल
ओस्तवाल, समाज सुधार व संगठन मंत्री-डा. सोहनलालजी सुराणा, शिक्षा व साहित्य मंत्री-श्री शान्तिलालजी खारीवाल। श्री मदनलालजी सुराणा वर्तमान में कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। -
ग्राम में श्री राजेन्द्र जैन महिला परिषद का गठन भी किया गया है जिसके पदाधिकारी इस प्रकार हैं--श्रीमती तारादेवी सुराणा (अध्यक्ष), शकुंतला देवी ओस्तवाल (उपाध्यक्ष),
(३) नगर में समाज के कमजोरवर्ग की आवास समस्या हल करने के उद्देश्य से शाखा परिषद के माध्यम से श्री तीर्थकर महावीर गृह निर्माण सहकारी समिति का गठन एवं पंजीयन करवाया गया। समिति ने लगभग तीस हजार रुपये में भूमि क्रय कर ली है जिसका विकास किया जा रहा है।
(४) कमजोर वर्ग की आरोग्य सुविधा हेतु शाखा परिषद द्वारा श्री वर्धमान जैन औषधालय का शुभारम्भ किया एवं वर्तमान में उसका संचालन किया जा रहा है।
(५) परिषद शाखा द्वारा वर्षों तक श्री आदर्श जैन वाचनालय तथा पुस्तकालय की स्थापना कर संचालन किया गया। इन दिनों यह बन्द है।
बी. नि. सं. २५०३/ख-६
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