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________________ संस्था परिचय अखिल भारतीय राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् मुनि लेखेन्द्रशेखर विजय, 'शार्दूल' अखिल भारतीय राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद एक ऐसी संस्था है, जिसका उद्देश्य जैन समाजान्तर्गत कुरीतियों को दूर कर उसे एक आदर्श समाज बनाना है। पूज्यपाद गुरुदेव श्रीमद् विजय यतीन्द्र सूरीश्वरजी महाराज साहब एक आदर्श समाज चाहते थे इसलिये आपने उपरोक्त संस्था की स्थापना श्री मोहनखेड़ा तीर्थ पर की। पूज्य गुरुदेव आज हमारे बीच में नहीं हैं पर उनका यह स्मारक आज भी मौजूद है और अपना काम कर रहा है। पूज्य गुरुदेव श्री के स्वर्गवास के बाद पुज्य मुनि श्री जयन्त विजयजी "मधुकर" महाराज ने अपने प्रयत्नों से इस संस्था की नींव सुदृढ़ की और संस्था का कार्यक्षेत्र विस्तृत किया । आज गांव गांव में परिषद की शाखाएं हैं जो केन्द्रीय कार्यालय से जुडी हुई हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक में परिषद की शाखाएँ विस्तारित हैं। जिन उद्देश्यों को लेकर परिषद की स्थापना हई वे हैं:-सामाजिक संगठन, धार्मिक शिक्षा प्रचार, सामाजिक सुधार और समाज का आर्थिक विकास । परिषद ने अपने इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अथक प्रयास किया। परिषद ने गांव गांव में पाठशालाएं खोली, वाचनालय और सिलाई केन्द्र शुरू किये और समाज को संगठित किया। मृत्युभोज जैसी सामाजिक कुरीतियां परिषद ने बंद करने की कार्यवाही की और ज्ञान प्रकाश फैलाकर अज्ञानान्धकार को दूर करने का प्रयास किया । परिषद ने आज तक जो कुछ भी किया है वह बहुत सुन्दर किया है आगे भी हम परिषद से बहुत आशा रखते परिषद का प्रथम सम्मेलन पूज्यपाद गुरुदेव श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज साहब की अध्यक्षता में मोहनखेड़ा तीर्थ में सम्पन्न हुआ। उस अधिवेशन में पूज्य गुरुदेव ने यह घोषणा की थी कि परिषद् के विकास में ही समाज का विकास है । परिषद का अधिवेशन हर वर्ष होता है। इस वर्ष का अर्थात ई० सं० १९७७ का वार्षिक अधिवेशन निम्बाहेडा (राजस्थान) में हुआ। इस अधिवेशन के समय विशाल जनसमूह की उपस्थिति में अनेक नई योजनाएं बनाई गई जो अब कार्यान्वित हो रही हैं। चरम तीर्थकर भगवान महावीर की पच्चीसवीं निर्वाण शताब्दी महोत्सव के अवसर पर परिषद् ने भगवान महावीर के चांदी के सिक्के निकाले तथा अपने मुखपत्र पूज्य गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के चांदी के सिक्के निकाले। ... ___अब तक परिषद् के ग्यारह अधिवेशन पूर्ण रूप से सफल हुए हैं। परिषद अनेक प्रकार की योजनाएं बनाती है और कार्यान्वित करती है। हम परिषद के कार्यक्षेत्र को और भी अधिक व्यापक बनाना चाहते हैं अत: आपसे तनमन धन का सहयोग चाहते हैं। आपके सहयोग से ही परिषद् और अधिक आगे बढ़ सकेगी। आप आपके नगर में परिषद् की शाखा खोलकर हमें सहयोग दें। इससे भविष्य में एक धार्मिक, नीतिमान और प्रगतिमान समाज का निर्माण होगा। एक बात और । मुनि श्री लक्ष्मण विजयजी महाराज ने सं० २०२७ में अलीराजपुर में नगर समाज के आर्थिक विकास हेतु श्री महावीर अल्पबचत बैंक की स्थापना करवाई है। इसी प्रकार की बचत बैंकों की परिषद के माध्यम से आप अपने नगर में स्थापना कर मध्यम वर्ग की उन्नति में सहायक बनेंगे तो संघ समाज की चतुर्मुखी प्रगति होगी। पूज्य गुरुदेव ने ''शाश्वतधर्म" मासिक पत्र भी चलाया था जिसका उद्देश्य जिन प्रवचन को जन जन तक पहुंचाना था । गुरुदेव के स्वर्गवास के बाद परिषद ने इसे जारी रखा। आजकल यह पाक्षिक रूप से निकलता है। यह त्रिस्तुतिक समाज का प्रतिनिधि पत्र है। वी. नि. सं. २५०३ २९ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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