________________
पूज्य मुनिराज श्री विद्याविजयजी महा. द्वारा में दिया गया सन्देश;
परिषद् के चतुर्थ अधिवेशन के उद्घाटन समारोह वि. सं. बि. सं. २०१९
महानुभावी !
अति हर्ष का विषय है कि आकोली नगर में दो-दो कार्यक्रम सम्पन्न होने जा रहे हैं। उधर प्रतिष्ठोत्सव का कार्य आठ दिन से चल रहा है और इधर आज श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् का वार्षिक अधिवेशन हो रहा है। अधिवेशन चीज जो है वह क्या है ? इसको हमें समझना है और इसे समझकर आगे बढ़ना है। गुरुदेव जब तक मालवे में रहे तो उन्होंने इस परिषद् को कार्य करते हुए संदेश दिया तथा नवयुवकों ने अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया ।
आज हमारे नवयुवक एक दूसरे ही मार्ग पर चल रहे हैं, उन्हें एक दूसरा ही नया मार्ग मिल गया है। उनसे धर्म का कार्य नहीं होता। परिषद् हमारे नवयुवकों के लिये धर्म का साधन है जब तक हमारा संगठन नहीं होगा धार्मिक भावनाएं नहीं आ सकेंगी। हम पीछे हैं । यदि दूसरे समाज को देखें तो वे हमारे समाज से आगे बढ़ रहे हैं। हमारा समाज उत्कृष्ट और श्रेष्ठ है यदि यह
भी पीछे रह जाय तो क्या हो सकता है ? भगवान महावीर के संदेश सबके लिये हैं। गुरुदेव ने जो परिषद् स्थापित की मारवाड़ में आज उसका पहिला दिवस है । आशा है आप परिषद् को सहयोग देंगे तथा आगे बढ़ने की कोशिश करेंगें। जगह-जगह पाठशालाएं नहीं हैं, परिषद् को इसके लिये पुष्ट बनावें तथा पूर्तियां करें । यही हमारा ध्येय है । इसके लिये मारवाड़ श्रीसंघ तथा नवयवकों
से निवेदन है कि तन-मन-धन से कार्य करेंगे तथा धर्म की प्रवृत्ति में सफलता प्राप्त करेंगे । जिससे लाभ होगा ।
श्री. नि. सं. २५०३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org