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उज्जैन चातुर्मास समाप्त कर श्रीसंघ इन्दौर की विनन्ती स्वीकार
संवत् २०२८, २०३१ एवं २०३२ में साध्वीजी श्री स्वयंप्रभाकर इन्दौर नगर में पधारे । इसी शुभ अवसर पर सेठ श्री धनराजजी श्रीजी आदि ठाणा ३ का चातुर्मास हुआ। चम्पालालजी कुक्षी वालों के सुपुत्र श्री उत्सवलालजी, श्री आनन्दी
संवत् २०३३ में मुनिराज श्री जयंत विजयजी "मधुकर", लालजी एवं श्री कान्तिलालजी ने अपने स्वनिर्मित जिनालय
मुनिराज नित्यानन्द विजयजी आदि का पदार्पण हुआ। इन्दौर में भगवान की अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठा का आयोजन श्रीसंघ के सान्निध्य में बड़े आनन्दमय वातावरण में करवाया।
वर्तमान आचार्यश्री के शुभ आशीर्वाद से इन्दौर श्रीसंघ में संवत् १९९० में मुनिराज श्री तीर्थविजयजी म. साहब आदि
आनन्द मंगल वरत रहा है। इन्दौर नगर में अभी स्वधर्मी बन्धुओं
के करीब १८० घर हैं। इतनी विशाल जनता को देखते हुए श्रीसंघ मुनि मंडल का चातुर्मास हुआ।
ने वर्तमान स्थान को छाटा समझ रक एक धर्मशाला बनाने का निर्णय संवत् १९९० में साध्वीजी श्री सोहनश्रीजी, श्री फूलश्रीजी लिया। वर्तमान उपाश्रय के पीछे कुंवर मंडली में धर्मशाला बनाने का चातुर्मास हुआ। इसी शुभ अवसर पर श्रीमान दुलीचन्दजी के लिये स्थान खरीदा है। धारीवाल की बहिन श्रीमती दोलीबाई के पति श्री निर्भयसिंहजी
श्री हुकमचन्दजी पारेख की प्रेरणा से संवत् २०३३ में श्री . नवलखा ने कार्तिक शुक्ला पूर्णिमा को गुरुणीजी श्री सोहनश्रीजी
राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् का पुनर्गठन श्री हस्तीमलजी पीपाड़ा के पास दीक्षा ग्रहण की।
अध्यक्ष एवं श्री एस. एम. जैन वकील सा. मंत्री के सान्निध्य में किया संवत १९९४ में साध्वीजी श्री गंभीरश्रीजी, शिवश्रीजी आदि
गया एवं संवत् २०३४ में परिषद की शाखा के निम्नानुसार पदाधिठाणा ने चातुर्मास किया।
कारी मनोनीत किए गये--- संवत् २०१४ में साध्वीजी श्री फुलश्रीजी, उत्तमश्रीजी, लक्ष्मी
(१) अध्यक्ष श्री सरदारमलजी संघवी, चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट श्रीजी आदि ठाणा ने चातुर्मास किया।
(२) उपाध्यक्ष श्री आनन्दीलालजी खजांची संवत् २००४ में गुरुणीजी श्रीकमलश्रीजी आदि ठाणा १६
(३) मंत्री श्री हंसमुख राय चौहान पधारे थे।
(४) सहमंत्री श्री अभयकुमार पारेख , संवत् २००७ में मुनि पूण्यविजयजी का चातुर्मास हुआ ।
(५) कोषाध्यक्ष श्री शांतिलालजी डूंगरवाल संवत् २००८ में मुनि श्री रंगविजयजी का चातुर्मास हुआ।
(६) प्रचारमंत्री श्री उत्सवलालजी पोरवाल (मनोज ड्रेसेस) संवत् २००९ में मुनिराज श्री वल्लभविजयजी, कल्याण
एवं श्री गजेन्द्रकुमार अग्रवाल। विजयजी का चातुर्मास हुआ।
इस समय में राजेन्द्र नवयुवक परिषद् का काम उत्साहमय संवत् २००५, २००६ एवं २०१४ में मुनिराज श्री न्याय- वातावरण में प्रगति से चल रहा है। विजयजी का चातुर्मास हुआ।
करीब गत १० वर्षों से श्री राजेन्द्र उपाश्रय के कार्य को सुचारु संवत् २०२४ में साध्वीजी सा. श्री पुष्पाश्रीजी आदि ठाणा
रूप से चलाने के लिये श्री घेवरमलजी मेहता अध्यक्ष, श्री हुकम३ का चातुर्मास हुआ।
चन्दजी पारेख, कार्यरत अध्यक्ष, श्री हजारीमलजी रांका मंत्री एवं संवत् २०२७ में साध्वीजी श्री महेन्द्रश्रीजी आदि ठाणा ३ का । कोषाध्यक्ष का कार्य कर रहे हैं। मंदिरजी की एवं उपाश्रय की चातुर्मास हुआ।
व्यवस्था में श्री पन्नालालजी अग्रवाल का सहयोग सराहनीय है। जैन शिक्षण प्रसार-समिति, मन्दसौर
प्रगति की प्रेरणा, विकास की वाणी तथा उन्नति के उल्लास का प्रसार करते हुए जैन-शिक्षण प्रसार समिति, मन्दसौर जिले के शैक्षणिक क्षेत्रों में नवीन कीर्तिमान स्थापित किये जा रही है। त्याग, परिश्रम, पुरुषार्थ तथा सेवा भावना संयुक्त होकर पूज्य प्रभु श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के पावन गुरु मंदिर के प्रांगण में शिक्षा केन्द्र का स्वरूप दे रहे हैं तथा फलती हुई नई पीढ़ी में आशा व जागृति का संचार कर रहे हैं । इस संस्था में प्रविष्ट होकर छात्र सही दिशा दर्शन प्राप्त कर रहे हैं, अनुशासित जीवन पद्धति से सम्पर्क कर रहे हैं, एवं जीवन जीने की कला सीख रहे हैं। उसकी स्थापना अ. भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद की मन्दसौर शाखा ने की है। मन्दसौर के जैन विद्यालय व महा
विद्यालय कोई व्यापारिक संस्थान नहीं है । उन्नत उद्देश्यों को लेकर सामाजिक क्षेत्र में इनकी स्थापना हुई है। छात्रों को उच्च स्तर का शिक्षण प्रदान करना, उनमें विनय-विवेक, तथा अनुशासन का बीजारोपण करना, उनके जीवन में नैतिक, बौद्धिक, चारित्रिक तथा आध्यात्मिक गुणों का समावेश करना एवं उनके व्यक्तित्व के स्वतन्त्र विकास हेतु उन्मुक्त हवामान उपलब्ध करवाना ही विद्यालय के परम लक्ष्य हैं।
१५ अक्टूबर १९६६ के शुभ दिन जन विद्यालय की स्थापना हुई। ९ वी १० वीं की मार्गदर्शन कक्षाओं के रूप में विद्यालय ने कार्य करना प्रारम्भ किया। अशासकीय संस्था के रूप में नगर में यह एक नूतन प्रयास था। दूसरे वर्ष भी विद्यालय का स्वरूप
राजेखभायोति
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