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मुनिराज श्री जयन्त विजयजी मधुकरजी, मुनि नित्यानन्दजी, मुनि जयकीति विजयजी ने ग्राम रिंगनौद में चातुर्मास की आज्ञा प्रदान की जिससे पूज्य आचार्य श्री का श्री संघ बहुत आभारी है । मुनिराज श्री के चातुर्मास से संघ में अनुपम जागृति हुई एवं जिन मन्दिर में उन्नतिशील कार्य हुए एवं नमस्कार महामन्त्र की आराधना हुई। श्री संघ को आराधकों एवं स्वामी बंधु व गुरु भक्तों की सेवा का सुवर्ण अवसर प्राप्त हुआ । इस चातुर्मास में यहां के नवयुवकों की सेवा कार्य पद्धति सराहनीय रही। उदाहरणार्थ प्रमुख लगनशील यूवा कर्ता श्री शैतानमलजी बाठिया, श्री शान्तिलालजी डांगी, श्री मानमलजी, श्री धनराज मेहता आदि आदि । ____ मुनिराज श्री मधुकरजी की प्रेरणा से श्रावक श्री बागजी होकलजी के सुपुत्र श्री गटूजी मूलचन्दजी द्वारा श्री सिद्धचक्र मंडल का निर्माण कराके सम्वत् २०३२ में प्रतिष्ठित हुआ।
इस ग्राम में जैन श्री संघ का तत्कालीन राज्य कार्य में वर्चस्व अच्छा था एवं वर्तमान में भी है । तत्कालीन सरकार द्वारा श्री चन्दप्रभुजी के नाम से मन्दिर की व्यवस्था एवं संचालन हेतु कृषि योग्य भूमि माफी में दी गई थी जो वर्तमान में भी जैन श्री संघ के कब्जे में होकर व्यवस्था चल रही है एवं कृषि उपज की आय मन्दिर कार्य संचालन में श्री संघ द्वारा व्यय की जाती है उक्त आराजी १४ बीघा होकर वर्तमान शासन द्वारा २१) रुपये तोजी लगा दी जो प्रति वर्ष जमा कराना पड़ती है साथ ही आम के वृक्ष भी मन्दिर के नाम से इसी ग्राम में हैं जिसकी आय समाज द्वारा मन्दिर व्यवस्था में ही व्यय होती है।
वर्तमान में इस ग्राम में गुरू भक्तों (त्रिस्तुतिक) के २५ परिवार मौजूद हैं जो अपने गौरव को लिये हुए जैन शासन एवं गुरू गच्छ की उत्तरोतर उन्नति कर रहे हैं सभी परिवार ओस वंशीय हैं । ___इसी ग्राम में जैन उपाश्रय भी निर्मित था जो प्राचीन समय से ही था जिसका जीर्णोद्धार वर्ष १९६३ ईसवी में हुआ जो "राजेन्द्र भवन" के नाम से है । इसी भवन में प्रात: स्मरणीय परम पूज्य गुरुदेव श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी के चित्र की संगमरमर की छत्री है जो सम्वत् २०३२ के मिती कार्तिक शुक्ल ११ की शुभ बेला में मुनिराज श्री जयन्त विजयजी मधुकरजी की प्रेरणा एवं शुभ उपदेश से उन्हीं के सान्निध्य में कराके गुरुदेव का चित्र श्री संघ द्वारा बड़े उत्साह से आनन्द विभोर होकर विराजमान किया। साथ ही गुरु पाट भी स्थापित किया गया। गुरु भक्तों द्वारा प्रति दिन गुरु आरती की जाती है।
सम्वत् २०३४ में राजेन्द्र भवन के पीछे यतीन्द्र भवन का निर्माण हुआ जो राजेन्द्र भवन से बिल्कुल लगा हुआ है । इस भवन में समाज के सभी व्यक्तियों का काफी परिश्रम रहा किन्तु कुछ नवयुवकों का श्रम एवं योगदान सराहनीय है जिसमें शांतिलाल डांगी प्रमुख हैं।
वर्तमान में श्री मन्दिर एवं उपाश्रय का कार्य संचालन त्रिस्तुतिक संघ एवं श्री अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद की
शाखा द्वारा किया जा रहा है । इस शाखा के अध्यक्ष श्री बाबूलालजी पंवार, उपाध्यक्ष श्री पांचलालजी चंडालिया, मंत्री श्री शैतानमलजी बाठिया एवं कोषाध्यक्ष श्री धनराज मेहता हैं।
उपसंहार इस ग्राम की आबादी ६००० की है । अमर शहीद वीर सेनानी महाराज बख्तावरसिंहजी भी इसी ग्राम के गौरव थे । इस ग्राम के उत्तर में श्री मोहनखेड़ा तीर्थ एवं गुरु समाधि मन्दिर है एवं पूर्व में श्री भोपावार तीर्थ है जहां श्री शांतिनाथ की खड़ी भव्य प्रतिमा है जो क्रमशः ८ व ५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
खाचरोद खाचरोद नगर को तुगियानगरी की उपमा दी जाती है। पूज्यपाद श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज ने संवत् १९२५, १९५० और १९६२ में यहां चातुर्मास किये थे । इन चातुर्मासों में यहां धार्मिक कार्यों की बड़ी धूम रही। अष्टान्हिका महोत्सव एवं प्रतिष्ठादि कार्य संपन्न हुए। १९६२ के चातुर्मास में चीरोलावासियों को जो ढाई सौ वर्षों से समाज बहिष्कृत थे उनको वापिस समाज में लिया गया । संवत् १९५४ में यहीं पर श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज ने श्रीमद् विजय यतीन्द्र सूरीश्वरजी महाराज को भगवती दीक्षा प्रदान की थी। संवत् १९६२ के चातुर्मास में निम्नलिखित लोगों ने सराहनीय काम किया
१. श्री करमचन्दजी लुनावत, २. श्री रूपचन्दजी चौधरी, ३. श्री चंपालालजी सुराणा, ४. श्री मन्नालालजी लोढा, ५. श्री चुनीलालजी मूणत, ६. श्री केसरीमलजी छाजेड़, ७. श्री जड़ावचन्दजी चौपड़ा, ८. श्री कारूरामजी नागदा, ९. श्री टेकचन्दजी वागरेचा ।
संवत् १९७५ में यहां श्री मोहनविजयजी महाराज साहब ने श्री आदीश्वर मंदिर की प्रतिष्ठा करवाई थी।
संवत् १९८० में श्रीमद् विजय भूपेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज साहब का यहां चातुर्मास हुआ था। उस चातुर्मास में अट्ठाई उत्सव उपधानादि अनेक धर्म कार्य हुए।
संवत् १९९२ में उपा. श्री यतीन्द्रविजयजी महाराज का यहां चातुर्मास हुआ। उस चातुर्मास में उपधान तप करवाने का लाभ श्री भेराजी कालूजी नागदा, श्री भेराजी टेकचन्दजी व श्री वरदाजी प्यारचन्दजी ने लिया। इसी चातुर्मास में श्री रिखबदेवजी टेकचन्दजी के नाम से पेढ़ी खुलवाई गई । अट्ठाई-महोत्सव व रथयात्रादि कार्यक्रम भी हुए । श्री यतीन्द्रविजयजी महाराज ने श्री मोतीलाल सेठिया को ओलीजी का व्रत उच्चराया था, वह अभी तक चल रहा है । यहां पर पीपलोदावासियों के हितार्थ भी महाराज ने प्रयत्न किया और वह सफल रहा। चातुर्मास के पश्चात् यहां से श्री मांडवगढ़ का संघ निकाला गया था।
खाचरोद चातुर्मास संवत् २०१३ में श्री यतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का जब पुनः चातुर्मास हुआ तब अनेक प्रकार के धर्म कार्य हुए । गुरु महाराज के
राजेन्द्र-ज्योति
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