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गुरु मंदिर छत्री
सेठ लालचन्दजी रतनलालजी सुराणा गुरुमंदिर हेतु संगमरमर की गरुवेदी का निर्माण कर उपाश्रय को भेंट की।
सेठ नन्दलाल केसरीमलजी रांका ने पूज्य गुरुदेव की प्रतिमा की आचार्य श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी के करकमलों से अंजनशलाका सम्पन्न करवाकर संघ को भेंट की। दीक्षाएं
परम पुज्य तत्कालीन उपा. श्रीमद् यतीन्द्र विजयजी के करकमलों से मुनिराज श्री सागरानन्द विजयजी प्रथम दीक्षित हुए। ___ सेठ मोतीलाल चुन्नीलालजी गुगलिया ने अपने दो पुत्रों की भगवती दीक्षाएं मुनिराज श्री लक्ष्मणविजय के सान्निध्य में सम्पन्न कराई।
(१) मुनि लेखेन्द्रविजय
(२) मुनि लोकेन्द्रविजय स्वर्गवास
साध्वीजी श्री जड़ाव श्रीजी म.
श्री जैन श्वेताम्बर सौधर्म बृहत् तपागच्छ श्री राजेन्द्र सूरीश्वर त्रिस्तुतिक ट्रस्ट मंडल, रतलाम ।
इसके वर्तमान पदाधिकारी व सदस्य इस प्रकार हैं-- (१) श्री डा. प्रेमसिंहजी राठौड़
अध्यक्ष (२) श्री सागरमलजी पोरवाल उपाध्यक्ष (३) श्री फतेहलालजी कोठारी मंत्री (४) श्री डाडमचन्दजी वोरा
कोषाध्यक्ष (५) श्री सोहनलालजी मूणत सहमंत्री (६) श्री कन्हैयालालजी कश्यप
सदस्य (७) श्री सरदारमलजी संघवी (८) श्री रतनलालजी भंडारी (९) श्री सौभागमलजी मालक (१०) श्री श्रेणीककुमार घोचा (११) श्री कनकमलजी पारख (१२) श्री सुरेशचन्द्रजी आलोट वाला (१३) श्री गेंदालालजी गुप्ता (१४) श्री सुजानमलजी सोनी (१५) श्री हस्तीमलजी सुराना ट्रस्ट द्वारा किये गये विशिष्ट कार्य (१) उपाश्रय का जीर्णोद्धार-लगभग पचास हजार लागत से कराया
गया। मामा जुहारमलजी बोराना का निर्माण कार्य में सहयोग एवं उनकी सूझबूझ से ही प्रवचन हाल का सुन्दर स्वरूप बन सका । सर्वश्री संघवी सरदारमलजी एवं मदनलालजी सुराना की देखरेख उल्लेखनीय एवं सराहनीय
(२) चातुर्मास-वर्तमानाचार्य श्रीमद् विजय विद्याचन्द्र सुरी
श्वरजी की आज्ञा से ५३ वर्ष की लंबी अवधि के बाद इस वर्ष पू. मुनिराजश्री जयंत विजयजी 'मधुकर' मनिमंडल, मुनिश्री विनय विजयजी, मुनिश्री नित्यानन्द विजयजी का चातुर्मास कराया गया। जिसमें ट्रस्ट के निर्णय के अनुसार चातुर्मास समिति एवं अन्य विभिन्न समितियों ने संतोषजनक एवं सराहनीय कार्य किया।
श्री राजमल लोढ़ा के कार्य श्री राजमल लोढ़ा दशपुर (मन्दसौर) मालव प्रदेश के जैन सिद्धान्तशास्त्री हैं। जैन समाज में जैन धर्म के पंडित के रूप में आप प्रसिद्ध हैं विगत ४०-४५ वर्षों से आपने जो धर्म सेवाएं की हैं, वे उल्लेखनीय हैं ।
परिषद' के लिए आपने अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहकर कार्य किये हैं। वर्तमान में आप शिक्षा मंत्री हैं । लोढ़ाजी का लेखन कार्य गतिशील रहा है। अनेक पुस्तकें आपने लिखी। सम्पादन कार्य तथा पत्रकारिता आपका व्यवसाय है। "ध्वज' जो मन्दसौर से प्रकाशित होता है उसके आप सम्पादक हैं । आपके संस्कार इतने प्रबल रहे कि आपके पुत्र (श्री सुरेन्द्र लोढ़ा) दर्शन, लेखन, वक्तृत्व आदि अनेक क्षेत्रों में सफलता की ओर अग्रसर हैं।
लीजिए श्री लोढ़ा ने जो प्राण प्रतिष्ठा, प्रतिष्ठाएं, शांतिस्नात्र, भगवान का प्रवेश, अठारह अभिषेक' आदि विधि विधान कार्य सम्पादित किये हैं उनकी सूची इस प्रकार है---- शान्ति स्नात्र विधान १. मन्दसौर : मन्दसौर में शान्तिस्नात्र विधान महोत्सव
१६ विभिन्न जिन मंदिर में हुए। २. रतलाम : रतलाम में २ शान्तिस्नात्र विधान महोत्सव
३. जावद
: जावद में ३ शान्तिस्नात्र विधान महोत्सव
४. बागेडा : बागेडा में १ महोत्सव हुआ।
(जावद) ५. पिपलोदा : पिपलोदा में १ महोत्सव हुआ। ६. उज्जैन : उज्जैन में २ महोत्सव हुए। ७. इन्दौर : इन्दौर में ४ महोत्सव हुए। ८. नीमच छावनी : नीमच छावनी में ३ महोत्सव हए। ९. नारायणगढ़ : नारायणगढ़ में १ महोत्सव हुआ। १०. कुकडेश्वर : कुकडेश्वर में १ महोत्सव हुआ। ११. भानपुरा : भानपुरा में १ महोत्सव हुआ। १२. मल्हारगढ़ : मल्हारगढ़ में १ महोत्सव हुआ। १३. मोहनखेड़ातीर्थ : मोहनखेड़ा तीर्थ में २ बार महोत्सव हुआ। १४. राजगढ़ : राजगढ़ में २ बार महोत्सव हुआ। १५. भाझोट भासोट में १ बार महोत्सव हुआ।
(मन्दसौर) १६. तराना तराना में १ बार महोत्सव हआ।
- राजेन्द्र-ज्योति
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