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समाज-दर्शन
रतलाम नीमवाला उपाश्रय जो त्रिस्तुतिका समाज का प्रमुख केन्द्र है। इसकी व्यवस्था सेठ छबोलचन्द्रजो गुगलिया के पास सं. १९२५ से आरंभ हुई। समाज-अग्रण्य
१. फर्म जस्सुजी चतुर्भुजजी के स्वामी सेठ मथुरालालजी तथा मिश्रीमलजी ने निम्न कार्य किये
(१) सागोदिया तीर्थ की व्यवस्था। (२) सं. १९०१ में बाबा सा. मंदिर में ५२ जिनालय परि
क्रमांतर्गत सहस्रफणा पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा । २. सेठ रूपचन्द रखबदास फर्म के स्वामी सेठ भागीरथ पोरवाल ने निम्न कार्य किये-- (१) पूज्य गुरुदेव के सूरत चातुर्मास के समय स्वर्ण अशफियों
की प्रभावना वितरित की (सं. १९६०) (२) यात्रासंघ स्पेशल ट्रेन द्वारा (सं. १९९०) . (३) लालचन्दजी के मंदिर में संगमरमर का कार्य (१९६२)
३. फर्म बीसाजी जवरचन्द पोरवाड़ के स्वामी सेठ प्यारचन्दजी व उनके पुत्र कन्हैयालालजी कश्यप ने निम्न कार्य किये--
(१) श्री कन्हैयालाल कश्यप जैन विद्या-भवन का निर्माण । (२) श्री अशोककुमार जैन कश्यप भवन ट्रस्ट । (३) श्रीमती झमकुबाई कन्हैयालाल कश्यप ट्रस्ट । (४) श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में सभागृह का निर्माण । (५) नीमवाला उपाश्रय ट्रस्ट के प्रथम अध्यक्ष । (६) सागोदिया तीर्थ के व्यवस्थापक रहे।
४. सेठ मन्नालाल गंभीरचन्द्रजी चौपड़ा के कार्य । धर्म शिक्षा व तत्वचर्चा, राजेन्द्र अभिधान कोष के प्रकाशन कार्य में सहयोग, जैन कवि ।
५. सेठ गंगाराम घासीरामजी पोरवाल ने अपने समय में ही घासीराम साधारण ट्रस्ट का निर्माण कर समाज को एक भवन समर्पित किया।
६. फर्म सेठ रूपचन्दजी केसरीमल (नाथूलालजी पोरवाल) समाज के नीमवाला उपाश्रय के प्रथम अध्यक्ष रहे आपने निम्न कार्य किये-- (१) पाठशाला और आयंबिल खाते में स्थायी फण्ड का
निर्माण । (२) नीमवाला उपाश्रय के न्यास अध्यक्ष रहे।
७. श्री ताराचन्द घासीजी ने अपने जीवन काल में एक न्यास निर्माण कर अपनी समस्त चल अचल संपत्ति सन् १९४३ में समाज को समर्पित की।
८. मुनिराज श्री लक्ष्मणविजय एवं साध्वी महेन्द्रश्रीजी आदि ढाणा के सान्निध्य में श्रीमती कंचनबाई सागरमलजी मूणत ने सं. २०३१ में श्री मोहनखेड़ा तीर्थ हेतु ४०० यात्रियों का एक पद यात्रा संघ निकाला।
९. श्रीमती मोतीबाई वोरा एवं श्रीमती केसरबाई धारीवाल ने पूज्य जैनाचार्य श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी की सेवा की-समाज में विद्यमान हैं । वे पूज्याचार्य के संस्मरण सुनाती रहती हैं।
१०. श्रीमती सद्दीबाई मिश्रीमलजी गुगलिया ने सन् १९५७ में एक न्यास निर्मित कर लालगुलाल वास स्थित भवन समाज को समर्पित किया। संघ ने उनकी ९४ वर्ष उम्र पर्यन्त सेवा की।
वी.नि.सं. २५०३
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