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________________ ६२ | पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज-अभिनन्दन ग्रन्थ 000000000000 000000000000 बाल्यकाल के सद्संस्कारों में पले किशोरी-पुत्र अपितु उनके प्रश्नों का ठीक-ठीक उत्तर भी दिया और आम्रश को जब वैराग्यानुभूति हुई तो विघ्नों के पहाड़ उससे प्रभावित हो महाराणा ने अपना बन्धन हटा मार्ग में आ खड़े हुए। दादी मां ने आम्रश को वैराग्य दिया । मार्ग से विचलित करने में कोई कसर नहीं उठा रक्खी। "सत्यमेव जयते” इस सिद्धान्त के अनुसार सच्चे उसने महाराणा साहब श्रीफतहसिंह जी के सामने जाकर वैराग्य की विजय हुई और सम्वत् १९८२ मृगशीर्ष मास अपना दुःखड़ा रोया। महाराणा बड़े दयालु थे, उन्होंने में श्री आनंश मुनिपद पा गये। आमेश को रोकने का आदेश दे दिया। दृढ़ निश्चयी श्री अम्बालाल जी महाराज ज्ञानादि उस समय पूज्य श्री मोतीलाल जी महाराज हमारे गुणों में निष्ठापूर्वक लग गये। गुरु सेवा का इनका गुण गाँव सिन्दु में ही विराजित थे। सरकारी आदेश से भी सर्व विदित है। मुमुक्षु आनेश को राज्याधिकारी पूज्य श्री के पास से पूज्य श्री के साथ संघ संचालन का कार्य, प्रायः हटा कर ले गये। राज्याधिकार के सामने किसी का आपके ही हाथों होता था। वश नहीं था, किन्तु मेरे पिता श्री मोतीलाल जी ने पूज्य श्री के स्वर्गवास के बाद मेवाड़ संघ की राज्याधिकारियों को सारी स्थिति समझाते हुए मुमुक्ष, बागडोर आपके सुदृढ़ हाथों में सुरक्षित है। एक दिव्य आत्मा है इसका बोध दिया। भारत की दैदीप्यमान मुनि रत्नमाला के चमकते ____महाराणा फतहसिंह जी बड़े तेजस्वी महाराणा थे उनके रत्न पूज्य गुरु देव श्री शतायु होकर हमारा धर्म नेतृत्व सामने उपस्थित होना ही कंपा देने वाली बात होती फिर करें । अभिनन्दन के शुभ-आयोजन के अवसर पर अनन्त भी श्री आनेश निडर हो, सामने उपस्थित ही नहीं हुए शुभ कामनाओं के साथ हमारा हार्दिक वन्दन ! याण LITHIL Q PRAANA MAMAN ....... JITTTTTTI अगर मन में प्रभू का विश्वास है तो, सत्य की सड़क पर कोई घुमाव नहीं है। अगर मन में सरलता का वास है, तो, प्रेम के पथ पर कोई टकराव नहीं है। अगर मन में उत्साह का निवास है तो, जीवन की यात्रा में कहीं कोई अभाव नहीं है। -अम्बागुरु-सुवचन 圖圖圖圖圖 HOC8 eduo
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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