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________________ महासती प्रेमवती संवत् २०२४ दीपावली की रात्रि में स्वर्गवास पाये, उससे पूर्व त्याग प्रत्याख्यान की स्थिति में थे । प्रेमवतीजी जो संसार पक्ष में इनकी पुत्री थी, वही इनकी शिष्या मी बनी । Shala प्रवर्तिनी श्री सरूपांजी और उनका परिवार | १९३ पाठक जान ही गये हैं कि प्रेमवती जी कोशीथल के पोखरणा गोत्रीय है । कुमारिका वय में अपनी माता के साथ ही संवत् १६६६ में देवरिया में संयम ग्रहण किया । बाल्यावस्था में संयम ग्रहण करने से इन्हें अपना ज्ञानाभ्यास बढ़ाने का अच्छा अवसर मिला । प्रवचन पटुता इनकी अपनी एक अलग विशेषता है । जिधर भी विचरते हैं व्याख्यान श्रवण हेतु, जैन-अजैन बड़ी संख्या में उमड़ पड़ते हैं। वाणी में ओज और माधुर्य का एक विलक्षण मिश्रण है । समाज सुधार एवं प्रगतिशील कार्यक्रमों में महासतीजी सदा आगे रहती हैं। भगवान महावीर के पच्चीस सौ वीं निर्वाण जयन्ति वर्ष के उपलक्ष में गुरुदेव श्री ने पच्चीस सौ व्यक्तियों को मद्य मांस छुड़ाने की योजना रक्खी तो, सतीजी ने सैकड़ों व्यक्तियों को त्याग करा दिये । जीव दया के क्षेत्र में भी ये लगातार कार्य करते रहते हैं । मेवाड़ का जैन समाज, महासती प्रेमवतीजी से बड़ा प्रभावित है । सतीजी प्रगतिशील मधुर वक्तृ तथा ओजस्वी है । श्री दमयन्तिजी (सलोदा वाले) इनकी प्रथम शिष्या है, जो सेवा गुण परायण है। श्री हीराजी (मदार वाले) राजकुंवरजी (देवगढ़ वाले) इनकी शिष्याएँ हैं । महासती श्री मोहन कुंवरजी बल्लमनगर वाले तथा महासतीजी श्री प्रतापहुंवरजी यांसावाले थी केर कुंवरजी महाराज की ही शिष्याएँ हैं। श्री प्रताप कुंवरजी में सेवा का विशेष गुण है । cation international एक अज्ञानी मनुष्य मरते समय दीनता पूर्वक आँखें गीली करके कह रहा था - हाय ! मेरे पीछे मेरे इन प्यारे बाल-बच्चों का क्या हाल होगा ? ज्ञानी संत ने उसे समझायामूढ तू क्यों इनकी चिंता में दुखी हो रहा है। इनका हाल इनके भाग्य पर छोड़ और अपनी चिंता कर कि अगले जन्म में तेरे हाल अच्छे हों ! अगला जन्म सुधारने की चिंता कर न कि पीछे वालों की ! ! - 'अम्बागुरु-सुवचन' For Private & Personal Use Only The 000000000000 2 000000000000 XGOODDEDED ::S.Rast/www.jainelibrary.org
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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