SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - श्री आनन्द मुनि ०००००००००००० ०००००००००००० चरण वन्दना करो ! सुदृढ वैरागी वण दीक्षाधारी। लीनी परीक्षा मेवाड़ी राणा थारी ॥१॥ पूज्य रोड़ीदास जी रो शासन भलो। जिणमें चमको स्वामीजी थे दिवलो ॥२॥ ज्ञानरा पिटारा सौम्यमूर्तिरा धणी। देश देश में छाई हैं थारी कीर्ति घणी ॥३॥ शास्त्रीय बखाण सुणे शास्त्र रसिया। मुख में बोले धन्य वचन हिया में वसिया ॥४॥ युक्ति युक्त आपरी मधुर वाणी। केई गांवा रा कुसंप मेट्या हित आणी ॥५।। सरल स्वभावी सम दम वाला। निरमानी शुभ ध्यानी बहु यश वाला ॥६॥ पूज्य मोतीलाल जी रो पाट दि पायो। श्रमण संघीय प्रवर्तक पद आप पायो ॥७॥ श्रद्धेय गुरु जी जांवां बलिहारी। आप मेवाड़ी सुसंघ रा छत्तरधारी ।।८।। जुग जुग जीओ जी अन्दाता तुम्हारा। करो धर्म उद्योत पग पूजां थांरा ।।६।। किशोरी-किशोर प्यार देवी नन्दना । झेलो झेलो मुनि शांति री चरण वन्दना ॥१०॥ नाम अम्बालाल जी सुहावणो लागे। आपरासुमरण सुहिया में आत्म ज्योति जागे ॥११॥ १. आपके वैराग्य की परीक्षा महाराणा भूपालसिंह जी ने की थी। Jan Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy