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________________ 000000000000 000000000000 40000 F श्री विजय मुनि, विशारद जग भूषण श्री अम्ब मुनि जय श्रमण प्रवर्त्तक अम्ब मुनि, जय शासन के उजियारे हो । जय " भार मुनि जी” के प्यारे, मेवाड़ घरा के तारे हो ॥ टेर ॥ है जन्म भूमि मेवाड़ "थामला" सुन्दर अरु सुखकारी है । है जन्म भूमि जननि प्यारी, जहाँ जन्म लिया गुणधारी है ॥ महाभाग्यवान् पूज्य श्रमण शिरोमणि, मुनि मण्डल के सहारे हो ॥ १ ॥ ये बीस वर्ष की आयु में, निर्मल संयम को धारा है। पैदल विहार कर गाँव-गाँव को पिलाई अमृत धारा है ।। मेवाड़, मालवा, महाराष्ट्र, सौराष्ट्र में आप पधारे हैं ॥ २ ॥ किया जैन शास्त्र, ज्योतिष ज्ञान भी उज्ज्वल और सुहाना है । आचार-निष्ठता के हिमायती सेवा गुण को बखाना है | है मिलनसार अरु भद्रमना जगति के जैन सितारे हैं ॥ ३ ॥ है मधुर गिरा जो मंत्री भाव की मंदाकिनी बहाती है । है आत्मधर्म मन मन्दिर में सहानुभूति सुहाती है ॥ सर्वत्र मान-सम्मान मिले, खुशियों के छाये फव्वारे हैं ॥ ४ ॥ ये मंगलमय शुभ अभिनन्दन हम प्रेम भाव से करते हैं । शुभ लक्ष्य सफलतापूर्ण मिले, यों पवित्र भावना वरते हैं ।। "विजय" विमल आनन्द मिले, जग भूषण शौर्यता धारे हैं ॥ ५ ॥
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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